भारतीय सेना बहुत जल्द भारत मे ही बनी बेहद शक्तिशाली कारबाइन को अपने काफिले में शामिल करने जा रही है। जिसकी वजह से इस स्वदेसी कारबाइन की खूब चर्चा हो रही है। इसकी खासियतों को लेकर खूब दावे किये जा रहे हैं। ये देश की पहली स्वदेशी कारबाइन है और सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है।इस स्वदेसी कारबाइन को डीआरडीओ और ओएफबी ने तैयार किया है। खास बात ये है कि, ये स्वदेसी कारबाइन थलसेना के सभी कड़े मानकों पर खरी उतरी है। इसे कानपुर में बनाया गया है। इसकी खासियत ये है कि, ये एक मिनट में 700 राउंड फायर करती है। इस कारबाइन को खासतौर पर काउंटर-टेरेरिज्म के लिए ही बनाया गया है।रक्षा मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि, 7 दिसंबर को इस कारबाइन ने अपने सभी ट्रायल पूरे कर लिये हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि, ये कारबानी कड़ी सर्दी और भीषण गर्मी दोनों ही मौसमों में इस्तेमाल की जा सकेगी। अपनी खासितों की वजह से ही ये कारबाइन जनरल स्टाफ क्वालिटी रिकुआयरेमेंट के मापदंडों पर खरी उतरी है। यही वजह है कि, ये स्वदेसी कारबाइन सेना में शामिल होने के लिये पूरी तरह से तैयार है।


इस कारबाइन का डिजाइन पुणे में स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट न तैयार किया था।ये कारबाइन ऑटोमैटिक वैपन है जो एक मिनट में करीब 700 राउंड फायर कर सकती है जिसकी रेंज करीब 100 मीटर है और इसका वजन तीन किलो है। आतंकियों के सफाया के लिये ये एक बेहतरीन हथियार है। जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना करने जा रही है।आपको जानकर हैरानी होगी कि, इस स्वदेसी कारबाइन कोकेंद्रीय पुलिसबलों के अलावा कई राज्यों की पुलिस भी इसे इस्तेमाल कर रही हैं। भारतीय सेना को 93 हजार कारबाइन्स की जरूरत है। उन्ही की जरूरतों को देखते हुए इस कारबाइन को बनाया गया है।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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