सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति के उस दलील को खारिज कर दिया है, जिसमे सभी पेड़ों को वन बताया गया था। अदालत ने दो टूक कहा कि, अगर दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के विस्तार में पेड़ों की कटाई करनी है तो वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन विभाग की मंजूरी बेहद आवश्यक है।

कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, “वह विकास को नहीं रोक सकती। लेकिन विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन होना चाहिए। आपको मंजूरी लेनी होगी। हम भारत सरकार को मंजूरी देने के लिए समय देंगे”

कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि, “हम सीईसी द्वारा किए गए इस अनुरोध को स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं कि सभी पेड़ वन नहीं हैं। हम इसे स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं। बस इस बिंदु के प्रभाव को स्वीकार किया जा रहा है। कौन यह पता लगाने जा रहा है कि पेड़ प्राकृतिक है या इसे लगाया गया है। यह अराजकता पैदा करने वाला है”

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें।आप हमें FACEBOOKINSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो पर सकते हैं

Share.
Exit mobile version