नागरीकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में हुए विरोध प्रर्दशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि प्रर्दशन के दौरान रास्ता रोकना गलत था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रर्दशन के दौरान पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कहा की प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए थी, जो उसने नहीं की. कोर्ट ने यह भी उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं बनेगी। वही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की इजाज़त मांगी थी. इस पर कोर्ट ने कहा है, “हमारा काम किसी कार्रवाई की वैधता तय करना है. प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. इसके लिए हमारा सहारा नहीं लेना चाहिए. अगर इस मामले में कार्रवाई की गई होती तो याचिकाकर्ताओं को यहां आने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती.“

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है, “संविधान के अनुच्छेद 19 1(a) के तहत अपनी बात कहना और 19 1(b) के तहत किसी मसले पर शांतिपूर्ण विरोध करना लोगों का संवैधानिक हक है. लेकिन इस अधिकार की सीमाएं हैं. सार्वजनिक जगह को अनिश्चितत काल तक नहीं घेरा जा सकता. दूसरे लोगों के आने-जाने को बाधित नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. इस मामले में भी कार्रवाई होनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.”

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