कोरोना काल में अस्पताल और डॉक्टर्स कितने सजग है इस बात की तो सच्चाई सबके सामने आ चुकी है। इस कोरोना काल में जहाँ डॉक्टर्स कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए भगवान हैं तो वहीं अस्पताल उनके लिए एक ऐसी जगह है जहाँ से मरीज और उसके परिवार की उम्मीदें बंधी हुई हैं कि, अगर हमारा मरीज अस्पताल तक पहुँच गया है तो सही होकर ही घर वापिस लौटेगा और बाकी तो सब ऊपर वाले यानी कि भगवान के हाथ में है। डॉक्टर्स तो कोरोना काल से पहले भी मरीजों के लिए भगवान ही थे और हो भी क्यों न? अपनी सेहत की परवाह न करते हुए निस्वार्थ भाव से डॉक्टर्स मरीजों की सेवा में दिन रात लगे रहते हैं और इस कोरोना काल में तो डॉक्टर्स ने मरीजों की जान बचाने के लिए जो हिम्मत दिखाई है वो काबिल ए तारीफ़ है। लेकिन, तब क्या हो जब मंदिर जैसा अस्पताल और भगवान जैसे डॉक्टर्स ही मरीजों के साथ हैवानों वाला काम कर दे ?

हाल ही में उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर्स की एक शर्मनाक घटना सामने आयी है। एक ऐसी घटना जिसने एक पिता के दिल को झकझोर कर रख दिया,साथ ही अस्पताल प्रशासन को शक और सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। दरसल, लोकसभा में संसद सदस्य कौशल किशोर ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक प्रार्थना पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने लखनऊ के एरा मेडिकल कॉलेज पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि – प्रार्थी शिव प्रकाश पाण्डेय पुत्र स्वर्गीय श्री राम शंकर पांडेय जो कि 478, पक्का तालाब निकट थाना कोतवाली चिनहट, लखनऊ द्वारा इंटीग्रल हॉस्पिटल,कुर्सी रोड, लखनऊ एवं एरा मेडिकल कॉलेज ,हरदोई रोड, लखनऊ द्वारा इलाज के दौरान साजिशन अपने पुत्र आदर्श कमल पांडेय को जानबूझकर मार डालने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया है। इनको संदेह है कि उक्त अस्पतालों में भर्ती मरीजों को कोरोना पॉजिटिव मरीज घोषित कर उनका मृत शरीर परिवार को न देकर उसके अंग निकालकर मानव अंगों की तस्करी का घृणित खेल खेला जा रहा है। अतः आपसे विनम्र आग्रह है कि उपरोक्त प्रकरण पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए प्रकरण की जांच कराकर अभियोग पंजीकृत करवाने हेतु संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें। इस प्रार्थना पत्र पर साफ़ नज़र आ रहा है कि इलाज के नाम पर अस्पताल प्रसाशन मरीज और उनके परिवार के पीठ पीछे कितना घिनौना और घटिया खेल खेल रहा है । DNP इंडिया इस बात की कोई पुष्टि नहीं करता है कि अस्पताल प्रसाशन आरोपी है या नहीं , क्यूंकि अस्पताल प्रसाशन की सच्चाई क्या है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा।

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