मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। जी हां, ऐसा कुछ कर दिखाया मुरादाबाद जिले के कुंदरकी कस्बे के एक छोटे से किसान की बेटी इल्मा अफ़रोज़ ने। अगस्त 2018 में प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली 26 वर्षीय इल्मा ने न्यूयॉर्क में आराम के जीवन को पीछे छोड़ दिया, ताकि भारत की प्रगति में अपना योगदान दे सकें। हालांकि IPS बनने तक की उनकी यात्रा चुनौतियों और बाधाओं भरी रही। वह केवल 14 वर्ष की थी जब उनके पिता कैंसर के शिकार हो गए और उनकी मृत्यु हो गई थी। आइये हम आपको बताते हैं IPS इल्मा अफ़रोज़ की संपूर्ण संघर्ष कहानी
इल्मा का संघर्षपूर्ण बचपन
इल्मा जब तक 14 साल की थी लगभग सबकुछ ठीक था। लेकिन, अचानक उनके पिता की मौत हो गई। जिसके बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया। घर में मां और छोटा भाई था। पिता की मौत के बाद लोगों ने सलाह दी कि लड़की को पढ़ाने में पैसे बर्बाद न करके इसकी शादी कर दें, बोझ कम हो जायेगा। लेकिन इल्मा की मां ने कभी किसी को जवाब नहीं दिया पर की हमेशा अपने मन की। इल्मा बताती हैं कि मेरी मां ने मेरे छोटे भाई और मुझे बहुत संघर्ष करते हुए पाला है। वह बहुत मजबूत महिला हैं। जहाँ लड़की के दहेज के लिए बचत करना और जल्दी शादी कर देने का प्रचलन है वही उन्होंने मुझे अपनी क्षमता पूरी करने का मौका दिया। इल्मा की मां खेती करती थी और उन्हीं पैसो से परिवार का पालन करती थी। इल्मा बताती है कि उनके आस पास रहने वाले बच्चे जहां IIT और MBBS की कोचिंग लेने जाते थे वहीं इल्मा मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई करती थी।
पढ़ाई के लिए बर्तन तक धोये
कुंदरकी से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद इल्मा ने दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लिया और फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया। इल्मा अपने सेंट स्टीफेन्स में बिताये सालों को जीवन का श्रेष्ठ समय मानती हैं, जहां उन्होंने बहुत कुछ सीखा। हालांकि बेटी को दिल्ली भेजने के कारण उनकी मां ने खूब खरी-खोटी सुनी जैसे बेटी हाथ से निकल जायेगी, उसको पढ़ाकर क्या करना है पर उन्हें अपनी बच्ची पर पूरा विश्वास था। सेंट स्टीफेन्स के बाद इल्मा को मास्टर्स के लिये ऑक्सफोर्ड जाने का अवसर मिला। इल्मा यूके में अपने पढ़ाई के अलावा बाकी खर्चें पूरे करने के लिये कभी बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही थी, कभी छोटे बच्चों की देखभाल का काम करती थी. यहां तक कि लोगों के घर के बर्तन भी धोये।
न्यूयॉर्क की नौकरी छोड़ी, बनीं IPS
पढ़ाई के बाद हर किसी का सपना होता है अच्छी नोकरी जो इल्मा को विदेश में मिली भी लेकिन, गांधीजी के ’हर आंख से हर आंसू पोंछना’ के सपने से प्रेरित होकर इल्मा ने यह महसूस किया कि राष्ट्र को उनकी शिक्षा का लाभ मिलना चाहिए। इल्मा कहती हैं कि मुझ पर, मेरी शिक्षा पर पहले मेरे देश का हक है, मेरी अम्मी का हक है। अपनों को छोड़कर मैं क्यों किसी और देश में बसूं। न्यूयॉर्क से वापस आने के बाद इल्मा के मन में यूपीएससी का ख्याल आया। उनके भाई ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया। आखिरकार इल्मा ने साल 2017 में 217वीं रैंक के साथ 26 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। जब सर्विस चुनने की बारी आयी तो उन्होंने आईपीएस चुना। बोर्ड ने पूछा भारतीय विदेश सेवा क्यों नहीं तो इल्मा बोली, नहीं सर मुझे अपनी जड़ों को सींचना है, अपने देश के लिये ही काम करना है।