देश में अभी कोरोना का खतरा टला भी नहीं था की माइक्रो म्यूकोसिस यानी की ब्लैक फंगस नाम की बीमारी ने लोगों की टेंशन बढ़ा दी है एक के बाद एक ब्लैक फंगस से संक्रमित मामले सामने आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस संक्रमण के मामले भी तेजी से आते जा रहे हैं. इससे निपटने के लिए एक सीएम योगी ने कमर कस ली है. सीएम योगी ने एक्सपर्ट कमेटी से रिपोर्ट मांगी है तो वहीं किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानी KGMU ने भी रिसर्च शुरू कर दिया है. KGMU के माइक्रोबायोलॉजी विभाग एन्टी फंगल टेस्ट की तयारी में जुटा है.इससे पता चलेगा कि फंगस पर कौन सी दवा कितनी कारगर है.

इसके लिए प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों से ऐसे मरीजों के सैंपल मांगे गए हैं. सैंपल का एंटी फंगल टेस्ट करके यह देखा जाएगा कि संबंधित मरीज पर कौन सी दवा ज्यादा कारगर होगी. केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि उनकी लैब में संबंधित फंगस का कल्चर तैयार कर उसकी जांच की जाएगी. पता लगाया जाएगा कि कौन सी एंटी फंगल दवा संबंधित फंगस पर ज्यादा कारगर होगी.अभी ऐसे केसों में प्रमुख रूप से तीन दवाएं दी जा रही हैं जो काफी महंगी हैं.जब सटीक दवा की जानकारी मिल जाएगी तो संबंधित मरीज का इलाज आसान हो जाएगा.

माइक्रो म्यूकोसिस ऐसा फंगस है जो ऐसी सतह पर पनपता है जहां शुगर की मात्रा अधिक हो. जैसे खराब होते फल, चीनी या अन्य सतह. यही वजह है कि ये फंगस अधिक शुगर वालों पर हमला कर रहा है. खास तौर से जो स्टेरॉइड्स इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इनके इस्तेमाल से शुगर लेवल बढ़ जाता है. ये फंगस सांस की नली से प्रवेश कर ब्रेन तक जा सकता है और धमनियों में इन्फेक्शन करता है.

उन्होंने बताया, यह फंगस लंग्स, किडनी या शरीर के किसी भी अंग में इन्फेक्शन कर सकता है. अभी जो मामले आ रहे उनमें आंखों में सूजन, नाक से खून निकलना, दिखना बंद होना जैसे सिम्पटम है. सीवियर इन्फेक्शन होने पर बेहोशी आ सकती है.

बायोप्सी सैंपल ज्यादा कारगर
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस फंगस का पता लगाने में नेजल स्वाब के बजाय बायोप्सी सैंपल ज्यादा कारगर है। स्वाब में फंगस पकड़ में कम आते हैं। उन्होंने बताया कि बायोप्सी जांच काफी जटिल है, क्योंकि इसमें मैनुअल मेथड का प्रयोग किया जाता है।

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