कहते हैं कि सियासत एक ऐसा खेल है जहां कोई किसी का नहीं होता सब बस स्वार्थ के साथी होते हैं राजनीति के पंडित तो यहां तक मानते हैं की राजनीति में एक बाप को भी अपने बेटा पर भरोसा नहीं होता है और एक बेटे को भी अपने बाप पर भरोसा नहीं होता है. ऐसा ही कुछ हाल है इन दिनों उत्तर उत्तर प्रदेश की राजनीति में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे कई नेता अपनी पार्टियों को छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो रहे हैं.

आपको बता दे कि कल ही बहुजन समाज पार्टी के छह विधायक हाजी मुजतबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, सुषमा पटेल, असलम चौधरी, हरगोविंद भार्गव और असलम राईनी बसपा छोड़ सपा में शामिल हुए वहीं सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था.

अब इसपर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर अब फिर से दल-बदलू लोगों के इस पार्टी से उस पार्टी में आने-जाने का दौर शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि इससे किसी भी पार्टी का जनाधार बढ़ने वाला नहीं है बल्कि नुकसान ही होगा. मायावती ने अपनी पार्टी के नेताओं को ये संदेश भी दिया कि बसपा के लोग इस तरह के बरसाती मेंढकों को पार्टी से दूर ही रखें.

बसपा सुप्रीमो ने ट्वीट में आगे कहा हैं कि चुनाव करीब आते ही कई ऐसी सियासी पार्टियां भी बरसाती मेंढक की तरह सामने आने लगी हैं जिनके नाम तक लोगों ने नहीं सुने. उन्होंने कहा कि सत्ता लोलुपता में इस तरह के खेल को जनता खूब समझती है. इससे लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला. परिवर्तन अटल है.

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