Ganesh Utsav 2022: 31 अगस्त से शुरू हुआ गणेश उत्सव कई राज्यों में जोरों शोरों से मनाया जा रहा है। गणपति बप्पा की जगह-जगह पूजा अर्चना की जा रही है। उनको प्रसन्न करने के लिए कई तरह के जतन किए जाते हैं। अब 9 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन किया जाएगा। सच्चे मन से उपासना करने वाले लोगों के विघ्नों को विघ्नहर्ता दूर कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति पर भी एक बार गहरा संकट मंडराया था। आइए कि गणपति और शनिदेव की इस कथा के बारे में जानते हैं।

शनि देव की वक्री दृष्टि

ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा के अनुसार से भगवान शिव और माता पार्वती के छोटे पुत्र गणेश का जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा था। इस मौके पर सभी देवी देवता गणपति को आशीर्वाद देने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। न्याय के देवता शनि देव भी इस उत्सव में शामिल हुए। लेकिन वह अपना शीश नीचे झुका कर खड़े थे। जब उन्होंने बालक गणेश को देखा नहीं तो मां पार्वती को हैरानी हुई और इसकी वजह पूछी। शनि देव ने माता पार्वती को बताया कि उनकी दृष्टि से गजानन को हानि पहुंच सकती है।

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हाथी का मुख लगाया

मां पार्वती के आग्रह पर शनि देव गणपति को देखने पर मजबूर हो गए। जैसे ही शनिदेव की नजर विघ्नहर्ता श्री गणेश पर पड़ी तो उनका सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया। यह देखकर पार्वती भी बेसुध हो गई। भगवान विष्णु देवी पार्वती को इस आघात से बाहर निकालने के लिए उत्तर दिशा में सिर की खोज में निकल पड़े। श्री हरीन हाथी का सिर लेकर कैलाश पर लौटने के बाद गणपति को हाथी का मस्तक लगाया गया और इसी तरह भगवान गणेश को दोबारा जीवनदान मिला।

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अंजलि शर्मा पिछले 2 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अंजलि ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। फिलहाल अंजलि DNP India Hindi वेबसाइट में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं।

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