Haritalika Teej 2022: हिंदू धर्म में हरितालिका तीज का बेहद महत्त्व है। भादव मास के शुक्ल पक्ष के तृतिया तिथि को हरितालिक तीज का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार 2022 में आज के दिन ही तीज का व्रत रखा गया है। ये तीज भगवान शंकर और भगवती गौरी को बेहद पसंद है। आज के दिन सभी सुहागिनें सज-धज कर ये व्रत रखती है। ये व्रत पति की लंबी आयु, संतान सुख, सुख समृद्धि और वैभव एवं अखंड सौभाग्यवती के लिए रखा जाता है। आज के दिन बहुत सारी मान्यताओं के साथ भगवान शंकर और भगवती गौरी की पूजा अर्चना की जाती है।

आज के दिन सुहागिनें करती हैं सोलह श्रृंगार

आज के दिन सभी व्रती सोलह शृंगार करती हैं। इस दिन विच मस्तक पर बिंदी लगाना बहुत जरूरी होता है। धर्म शास्त्र के अनुसार इस दिन बिंदी लगाने से व्यक्ति की तीसरी आंख खुली रहती है।

क्या है हरतालिका तीज का कथा

ये तीज का व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती को बेहद पसंद है। कहते हैं, जब माता सती के पिता दक्ष ने महा यज्ञ का अनुष्ठान किए और महादेव को न आमंत्रित कर उनका अपमान किया था। तब ये बात माता सती सह नहीं पाई थी और उसी अग्नि में भस्म हो गईं थी। इसके बाद अगले जन्म में उनका जन्म राजा हिमाचल के यहाँ हुआ। वह तब से ही अपने मन में भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या करने लग गईं। देवी पार्वती मन में महादेव को अपने स्वामी के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं और उनकी तपस्या में लीन रहती थी। ये सब देख कर माता पार्वती के पिता बहुत गंभीर हो गए वह सदैव चिंतित रहते थे। एक बार वह इस बात को नारद मुनि के समक्ष प्रस्तुत किया। तब उनके सुझाव पर पिता हिमाचल ने देवी पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करवाने का निश्चित किया। ये बात जब माता गौरी को पता चली तब वह जंगल में चली गईं। माता पार्वती दिन रात कड़ी तपस्या की और ये तपस्या 12 साल तक चली। इसके बाद वह भादव मास के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र में माता गौरी ने रेत के शिवलिंग का निर्माण किया और भोले नाथ की स्तुति में तल्लीन हो गईं। इस कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और अपनी पत्नी के रूप उन्हे स्वीकार किया। इसके बाद से हरतालिका व्रत की प्रथा शुरू हो गई।

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क्या है तीज का शुभ मुहूर्त

आज के दिन सभी सुहागिनें अखंड सौभाग्यवती होने के लिए तीज का व्रत करती है। कहते हैं तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। ये पूजा का सबसे उत्तम समय है। आज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल में ही रहेगा। इस दिन सभी व्रती को देवी गौरी और भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए।

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मेरा नाम श्रीया श्री है। मैं पत्रकारिता अंतिम वर्ष की छात्रा हूं। मुझे लिखना बेहद पसंद है। फिलहाल मैं डीएनपी न्यूज नेटवर्क में कंटेंट राइटर हूं। मुझे स्वास्थ्य से जुड़ी कई चीजों के बारे में पता है और इसलिए मैं हेल्थ पर आर्टिकल्स लिखती हूं। इसके अलावा मैं धर्म, लाइफस्टाइल, एस्ट्रोलॉजी और एजुकेशन के विषय में भी आर्टिकल लिखती हूं।

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