Indira Ekadashi Vrat 2021: श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों की तृप्ति के लिए कई उपाय किए जाते है। पितृ पक्ष सोलह दिन तक चलता है। इन दिनों तर्पण और श्राद्ध करके पितरों को प्रसन्न किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान इंदिरा एकादशी का व्रत बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है। इस एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्य की सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैं।

दो अक्टूबर को रखा जाएगा व्रत

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष कि एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष एकादशी 2 अक्टूबर को है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से व्रत रखने वाले की सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। साथ ही व्रत रखने वाले के लिए भी यह लाभदायक साबित होता है। 

इंदिरा एकादशी तिथि

एकादशी तिथि 1 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी। तथा इसका समापन 02 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा। उदयाति​थि की वजह से इंदिरा एकादशी व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा।

इंदिरा एकादशी व्रत की पूजा विधि

श्राद्ध पक्ष की एकादशी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इस व्रत के लिए धार्मिक क्रियाएं दशमी से करें। दशमी के दिन से पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें। यदि नदी का होना सम्भव न हो तो किसी जलाशय में यह क्रिया करें या फिर घर की छत पर तर्पण करें। दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद कुछ नहीं खाएं। एकादशी के दिन सुबह उठे और व्रत का संकल्प ले और श्राद्ध विधि के बाद ब्राह्मणों का भोजन करें। इसके बाद गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन कराएं। व्रत के अगले दिन द्वादशी को भी पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।

इंदिरा एकादशी की व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में महिष्मती नाम के नगर में इंद्रसेन नाम के एक राजा थे। उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका था। एक रात उन्हें सपना आया, जिसमें उन्होंने देखा कि उनके ​माता-पिता नर्क में रहकर अपार कष्ट भोग रहे हैं। इस स्वप्न  से राजा बहुत चिंतित हो उठे। इस स्वप्न को लेकर उन्होंने  विद्वान ब्राह्मणों और मंत्रियों को बुलाकर बात की। जिसके बाद ब्राह्मणों ने उन्हें बताया कि ‘हे राजन यदि आप  यदि आप सपत्नीक इंदिरा एकादशी का व्रत करें, तो आपके पितरों की मुक्ति मिल जाएगी। इस दिन आप भगवान शालिग्राम की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें। इससे आपके माता-पिता स्वर्ग चले जाएंगे।’ राजा ने ब्राह्मणों की बात मानकर विधिपूर्वक इंदिरा एकादशी का व्रत किया। रात्रि में जब वे सो रहे थे, तभी भगवान ने दर्शन देकर कहा कि ‘राजन तुम्हारे व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है।’  

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