Krishna Rukmini Katha: भगवान श्री कृष्ण प्रेम, त्याग और समर्पण के मूरत हैं। ये बातें तो आप बचपन से सुनते आ रहे होंगे। राधा और कृष्ण प्रेम के लिए पूरे विश्व में प्रचलित हैं। प्रेम के साथ साथ त्याग के लिए हमेशा इनके नाम को लिया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं की विवाह के बंधन में भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी बंधी थी। लेकिन इन्हें विवाह के बाद ही पूरे 12 साल के लिए अलग रहना पड़ा था। इसके पीछे भी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इसके विषय में विस्तार से हम इस आर्टिकल में जानेंगे।

ऋषि दुर्वासा का मिला था श्राप

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण और रुकमणी को अलग रहना का श्राप मिला था। इसके पीछे का कारण बेहद रोचक है। आपको बता दें, एक बार की बात है जब भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी एक साथ ऋषि दुर्वासा के आश्रम गए थे। तब भगवान श्री कृष्ण ऋषि दुर्वासा को भोजन ग्रहण करने और आशीर्वाद बनाए रखने के लिए आमंत्रित किए। इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए ऋषि दुर्वासा ने एक शर्त रखा। उन्होंने कहा कि एक अलग रथ की व्यवस्था मेरे लिए की जाए। इस शर्त को भगवान श्री कृष्ण स्वीकार किए।

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रथ में खुद जुट गए श्री कृष्ण और रुक्मणी

आपको बता दें, एक ही रथ होने के कारण घोड़े के जगह भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी खुद जुट गया और रथ को खींचने लगे। इस दौरान रुकमणी को बेहद प्यास लगी लेकिन रास्ते में कहीं पानी की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए श्री कृष्ण स्वयं जमीन पर अंगूठा लगाए और इससे गंगाजल निकलने लगा। इसके बाद इस गंगाजल को भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी ग्रहण किए। मगर इनसे एक बड़ी गलती हो गई। ये ऋषि से जल के लिए पूछना भूल गए। इस बात पर ऋषि दुर्वासा रुष्ट हो गए और भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी को 12 साल तक अलग रहने के लिए श्राप दे दिए। इसलिए भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी को 12 साल तक अलग रहना पड़ा। इस दौरान रुकमणी श्री हरि विष्णु के आराधना में लीन हो गई। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान रुक्मणी को श्राप से मुक्त कर दिए।

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मेरा नाम श्रीया श्री है। मैं पत्रकारिता अंतिम वर्ष की छात्रा हूं। मुझे लिखना बेहद पसंद है। फिलहाल मैं डीएनपी न्यूज नेटवर्क में कंटेंट राइटर हूं। मुझे स्वास्थ्य से जुड़ी कई चीजों के बारे में पता है और इसलिए मैं हेल्थ पर आर्टिकल्स लिखती हूं। इसके अलावा मैं धर्म, लाइफस्टाइल, एस्ट्रोलॉजी और एजुकेशन के विषय में भी आर्टिकल लिखती हूं।

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