आज पितृपक्ष का आखिरी दिन है। सर्वपितृ अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है। आज के दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं होती हैं। शास्त्रों में इस दिन का खास महत्व माना जाता है। पितृपक्ष में कई नियमों का सख्ती से पालन करना होता। पुराणों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन कुछ काम बिल्कुल नहीं करने चाहिए वरना पितरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।

भिक्षु को खाली हाथ न लौटने दे

आज के दिन यदि कोई आपसे दान या खाना मांगे तो उसको खाली हाथ न लौटाएं। अपने सामर्थ्य के अनुसार आप उन्हें कुछ न कुछ जरूर दें। लेकिन किसी को अपने दरवाजे से  खाली हाथ न जानें दे। आप दान में  आटा या चावल भी दे सकते हैं।

तामसिक भोजन से दूर रहें

सर्व पितृ अमावस्या के दिन लहसुन, प्याज, मांस और मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें। मान्यता है कि इससे पितरों को चोट पहुंचती है और ऐसा करने वालों को  पितृ दोष लगता है। आज के दिन बिल्कुल सात्विक भोजन करें और पितरों को अर्पित करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। आज के दिन लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग भी नहीं खाना चाहिए।

नहीं करे शुभ काम

आज के दिन शुभ कार्य जैसे मुंडन, ग्रह प्रवेश का आयोजन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दिन घर के लिए महत्त्वपूर्ण चीजों की खरीददारी भी न करें। नए कपड़े या किसी प्रकार की खरीददारी को भी अशुभ माना जाता है। पितृपक्ष का आखिरी दिन बहुत सादगी से बिताना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

सर्वपितृ अमावस्या के दिन बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए। शास्त्रों में इन चीजों का करना अशुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी की मृत्यु होने पर बाल मुंडवाने की प्रथा है लेकिन पितृपक्ष में बाल कटवाने पर मनाही है। इसिलए आज के दिन ये काम नहीं करने चाहिए।

सर्वपितृ अमावस्या का मुहूर्त

सर्वपितृ अमावस्या मंगलवार शाम 07 बजकर 04 मिनिट से लेकर बुधवार शाम 4 बजकर 34 बजे तक रहेगी। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण के बाद श्रद्धा से जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए। शास्त्रों में इसका बहुत महत्व बताया गया है। परंपरा के अनुसार, श्राद्ध के बाद गाय, कौवा, अग्नि, चींटी और कुत्ते को भोजन खिलाया जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और वे तृप्त होते हैं।

Share.
Exit mobile version