GLA Polytechnic:मथुरा। नेत्रहीन दिव्यांग व वृद्धजनों के रास्ते को सुगम बनाने के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के पॉलीटेक्निक  संस्थान के शिक्षकों ने एक स्मार्ट स्टिक तैयार करने का हाल ही में एक आइडिया सुझाया है। भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय से इसका पेटेंट भी पब्लिश हो चुका है। अब इस प्रोटोटाइप को तैयार करने के लिए भी शिक्षक और छात्र जुटे हुए हैं।

जीएलए पॉलीटेक्निक संस्थान के शिक्षकों ने काफी लंबे समय के रिसर्च और सफल अध्ययन करने के बाद एक स्टिक का आइडिया सुझाया है। इस स्टिक को तैयार करने के लिए सेंसर, हार्ट बीट सेंसर, टैम्परेचर सेंसर, वाटर लेवल, आइआर सेंसर सहित आदि तकनीक का प्रयोग किया जायेगा। इसे तैयार करने वाले शिक्षकों का दावा है कि इसे इस प्रकार तैयार किया जा रहा है, जिससे नेत्रहीन लोगों के लिए आंख का कार्य करे। इसके माध्यम से नेत्र दिव्यांग बेझिझक रास्ते में चल सकें। यह स्टिक न केवल रास्ते में आने वाली बाधाओं की जानकारी देगी, बल्कि इसके द्वारा नेत्रहीन दिव्यांग तथा वृद्ध परिजन अपनी हृदय की धड़कन और तापमान भी माप सकेंगे। इसके लिए इस स्टिक में एक वॉइस रिकाग्निशन सिस्टम भी लगा होगा। यह वॉइस रिकॉग्निशन सिस्टम बीप के माध्यम से अलर्ट जारी करेगा।

यह रिसर्च जीएलए विश्वविद्यालय के डीन रिसोर्स जनरेषन एंड प्लानिंग डॉ. दिवाकर भारद्वाज, प्राचार्य डॉ. विकास कुमार शर्मा के निर्देशन में पॉलीटेक्निक संस्थान के लेक्चरर अंजू उपाध्याय तथा हरिओम ने इसका आइडिया सुझाया। इस आइडिया में इलेक्ट्रिकल इंजी. के छात्र अभिशेक कुमार एवं प्रषांत पाल का भी सहयोग है। अंजू उपाध्याय तथा हरिओम ने आइडिया के पेटेंट पब्लिष के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस स्टिक में कई सेंसर का उपयोग किया गया है, जो रास्ते में आने वाली बाधाओं को बताएगा। यदि कोई व्यक्ति अपना तापमान तथा हृदय की धड़कन का पता लगाना चाहता है तो भी यह स्टिक अति लाभदायक होगी। इस स्टिक में एडवांस सिस्टम यह है कि यदि यह छड़ी कहीं खो जाती है तो जीपीएस सिस्टम के द्वारा इसका पता लगाया जा सकेगा। इस स्टिक में अल्ट्रासोनिक सेंसर, वाटर लेवल सेंसर जैसे अन्य कई सेंसर लगे हैं, जो इसे नेत्रहीन दिव्यांगजनों व वृद्ध परिजनों के लिए उपयोगी बनाते हैं।

डॉ. दिवाकर भारद्वाज ने बताया कि अधिकतर नेत्रहीन दिव्यांगजन दूसरों पर निर्भर रहते हैं तथा उनको बाहर जाने के व अपने कार्य करने के लिए दसूरों का सहारा लेना पड़ता है। अतः यह स्टिक ऐसे नेत्रहीन दिव्यांगजनों और वृद्धजनों के लिए उपयोगी होगी जो बाहर घूमना चाहते हैं। यह स्टिक अपने स्वास्थ्य की जानकारी भी देगा। यदि कोई व्यक्ति नेत्रहीन दिव्यांग को ट्रेक करना चाहे तो, जीपीएस सिस्टम के माध्यम से उसे आसानी टेक किया जा सकता है। इस डिवाइस का उपयोग करना अत्यंत ही सरल है। डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि यह डिवाइस सभी वृद्ध लोगों तथा नेत्रहीन दिव्यांजनों के लिए आत्मनिर्भरता का कार्य करेगी। इसकी खासियत है कि यह आसानी से ऑपरेट की जा सकेगी। इसका पेटेंट पब्लिश हो चुका है और ग्रांट होने के बाद उसका प्रोटोटाइप तैयार करके मार्केट में लाने की तैयारी की जायेगी।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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