GLA University:जीएलए विश्वविद्यालय , मथुरा के इंटरनेशनल अफेयर्स विभाग द्वारा सेंटर फॉरइंटरनेशनलाइजेशन एंड ग्लोबल इंगेजमेंट की शुरूआत की गई है। इसी के तहतजीएलए और ब्रिटिश इंपीरियल यूके ने ब्रिटिश टिसोल प्रोग्राम के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीयकार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में कई देशों के शिक्षाविद् औरविषेशज्ञों ने प्रतिभाग किया।अंतरराष्ट्रीय  कार्यशाला में प्रतिनिधत्व की भूमिका निभाते हुए जीएलए अंतरराष्ट्रीय,मथुरा के प्रबंधन संकाय एवं अंग्रेजी विभाग के 30 से अधिक शिक्षाविद् और विशयविषेशज्ञों ने भाषा और उसके विकास पर चर्चा की और 21वीं सदी में आधारित नीतियों को जाना। जिससे विद्यार्थियों के भाषा विकास को सुनिष्चित किया जा सके औरप्रोफेशनल स्किल्स को बढ़ावा मिल सके।

कार्यशाला में संबोधन

कार्यशाला के संबोधन के दौरान ब्रिटिश टिसोल टेंनर डॉ. रफेल ने भाशा के स्किलों को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आज अंग्रेजी भाषा के लिए तकनीकी प्रयोगों के बारे में जानना बेहद जरूरी है और सभी विद्यार्थियों को उसका ज्ञान होना चाहिए। वहीं डॉ. इंगा ने भाषा के सैद्धांतिक पक्षों पर जोर देते हुए खेरीज के बारे में विस्तृत चर्चा की। जिससे विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा के विकास को आगे बढ़ाकर कुछ टूल्स के माध्यम से विद्यार्थियों को इस भाषा के बारे में पढ़ाया जासकता है। डॉ. डेनी ने बहुत सारे पक्षों का ज्ञान देते हुए यह बताया कि किस प्रकार एक शिक्षक अंग्रेजी भाषा के शिक्षण को बहुत ही रूचि पूर्ण बना सकता है। उन्होंने बताया कि कई टूल्स और ग्राफिक्स का प्रयोग करके अंग्रेजी कंटेट को अच्छा बनाया जा सकता है और विद्यार्थी भी भाशा को सीख, समझ और जान सकता है।

मुख्य लोग रहे मौजूद

अंत में उन्होंने भाशा की समझ और अवेयरनैस पर जोर दिया। जीएलए प्रबंधन संकाय के निदेषक प्रो. अनुराग सिंह ने भाशा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए यह समझाने का प्रयास किया कि किसी भाषा का विकास और किसी देश की अर्थव्यवस्था का विकास दोनों का काफी मेलजोल है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है ठीक उसी प्रकार देश की अलग-अलग लोकल भाषाओं का भी स्तर बढ़ रहा है। इंटरनेशनल अफेयर्स विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. निर्भय मिश्रा ने कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अपस्क्लि द इंग्लिश लैंग्वेज एंड प्रोफेशनल स्किल्स विद 21 सेंचुरी स्किल्स विषय पर आयोजित कार्यशाला ब्रिटिश इंपीरियल यूके और जीएलए विश्वविद्यालय के सहयोग से संपन्न हुई। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश इंपीरियल यूके अकादमिक अंग्रेजी और पेशेवर कौशल जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से संकाय सदस्यों, छात्रों और शोधकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का कार्य करती है, जो कि ब्रिटिश सरकार की काउंसिल द्वारा प्रमाणित संस्था है। इसी के माध्यम से ब्रिटिश टिसोल प्रोग्राम के अन्तर्गत कार्यशाला का आयोजन हुआ।

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जिसमें करीब 19 देशों भारत, यूके, यूरोप, जॉर्डन, लेबनान, ट्यूनीशिया, कजाकिस्तान, साउथ एशिया आदि के 100 से अधिक शिक्षाविद् और विशय विषेशज्ञों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की कोऑर्डिनेटर डॉ. सुप्रिया जैन ने कार्यक्रम के समापन पर ब्रिटिश इंपीरियल यूके के अध्यापकों एवं प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, डीन रिसर्च प्रोफेसर कमल शर्मा एवं 19 देशों के विभिन्न प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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