मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, में आयोजित आइईईई कांफ्रेंस में सूचना प्रणाली और कम्प्यूटर नेटवर्क पर गहन चर्चा करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रेडिफ डॉट कॉम के अध्यक्ष और सीईओ प्रो. अजीत बालकृष्णन ने कहा कि सूचना प्रणाली का मूल सिद्धांत सूचना को त्वरित गति से प्रदान कराना है। आज सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए हर समय इंटरनेट पर कई ट्रांजेक्शन किए जाते हैं, जो कि तुरंत ही सपादित होने चाहिए और होते भी हैं। इनकी गति से ही उस सूचना तंत्र की डिजाइन की जानकारी मिलती है जो कि सदैव डिमांड बेस्ट एवं अनवायज्ड सिस्टम को बनाने के लिए होनी चाहिए।

उन्होंने जादुई गणित पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक बार जब आपके पास शब्द वैक्टर हों, तो शब्दों के साथ लगभग जादुई गणित कर सकते हैं। यदि आप राजा, पुरुष, महिला के लिए वैक्टर लेते हैं, तो आप राजा-पुरुष साथ महिला को जोड़कर गणना कर सकते हैं और फिर वेक्टर मिलेगा रानी यह जादुई गणित है इसलिए एल्गोरिथ्म शब्दों के अर्थ को समझता है इसलिए डेटा का प्रतिनिधित्व और व्यवस्थित करने के लिए वैक्टर एक शक्तिशाली गणितीय उपकरण है। एमएल मॉडल के निर्माण के पहले चरणों में से एक डेटा पेक्टर करना है, जैसे शब्द वेक्टराइजेशन वर्दश्येक मॉडल एक प्रसिद्ध एमएल मॉडल है, जिसका उपयोग प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण या एनएलपी में किया जाता है।

मथुरा, जीएलए विश्वविद्यालय के टैलेंट कार्यक्रम में छात्रों ने दिखाई प्रतिभा

सीडीएसी मोहाली के कार्यकारी निदेशक विशिष्ट अतिथि डॉ. पीके खोसला ने धौथी औद्योगिक क्रांति हमारे जीने और कार्य करने के तरीके को मौलिक रूप से बदलने लगी है जेमिनी सॉल्यूशंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विशिष्ट अतिथि कुमार प्रशांत चौधरी का संबोधन सिक्यॉरिटी सॉल्यशंस पर रहा। उन्होंने कहा कि आज क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर को सिक्यॉर करने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहे है। आगामी भविष्य, क्लाउड सिक्यॉरिटी का है। शुरुआती सत्र में आईआईटी कानपुर से विशिष्ट अतिथि प्रो. एसएन सिंह आईआईटी प्रयागराज एवं आइईईई यूपी अनुभाग के अध्यक्ष विशिष्ट अतिथि डॉ. एसके सिंह, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली के सलाहकार विशिष्ट अतिथि संजीव कुमार वार्ष्णेय ने मुख्य रूप से बदलती हुई प्रौद्योगिकी पर प्रकाश डाला।

कॉफ्रेंस के अंतिम सत्र में एमईआईटीवाई नई दिल्ली के वैज्ञानिक और समूह समन्वयक मुख्य अतिथि डॉ. बीके मूर्ति ने कहा कि इनोवेशन एवं इनपेंशन दोनों ही एक दूसरे के पहलू हैं। इनवेशन एक जटिल प्रक्रिया है, बल्कि इनोवेशन को बड़े सरल माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सभी कार्यों को शत-प्रतिशत सफल होने के लिए करना चाहिए। अपितु असफलता भी कई मायनों में सफलता से बड़ी होती है। कभी-कभी हमारी असफलता हमें बड़ी सफलताओं की सीख दे जाती है। इसलिए असफलता से ही शिक्षा लेनी चाहिए।

सिएना विश्वविद्यालय इटली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोनिका बियानचिनी ने कहा कि किस तरह आज तकनीक का विभिन्न संसाधनों पर असर हो रहा है। नई तकनीकों से नए-नए कोलाबोरेशन एवं इनोवेशन हो रहे है। आज पूरे विश्व की अधिक से अधिक जनसंख्या इंटरनेट का प्रयोग कर रही है। कई देशों में यह शत-प्रतिशत के आसपास है और कई देशों में वृद्धि हो रही है। जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो फाल्गुनी गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष तकनीकी व प्रबन्धन के क्षेत्र में अलग-अलग राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन करता रहा है, जिससे कि विभिन्न विभागों व विषयों पर छात्रों एवं अध्यापकों को विशेष रूप से उनके क्षेत्र में हो रही नई उपलब्धियों तकनीकी उन्नति और शोध कार्यो की जानकारी मिल सके। साथ ही उन्हें राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर के लोगों से मिलने व उनके अनुभवों को जानने का मौका करीब से मिल सके और वह भी अपने-अपने क्षेत्र में उपलब्धिया अर्जित कर सके।

कम्प्यूटर इंजीनियरिंग एंड एप्लीकेशन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित अग्रवाल ने कांग्रेस की समरी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इस्कॉन 21 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में अब तक 728 शोध पत्र प्रकाशित के लिए प्राप्त हुए है और अंत में 228 पेपर पंजीकृत होते हैं। इसमें से आइईईई की रिव्यू प्रोसेस के बाद 327 शोध पत्र इस कांफ्रेंस में प्रकाशित के लिए चुने गए हैं जो कि भारत, चीन, अर्जेंटीना, ईराक, जापान, केन्या, ओमान, पाकिस्तान, रूस. सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे 12 विदेशी देशों से 34 पत्र प्राप्त हुए हैं।

विशिष्ट अतिथियों में सीडैक मोहाली के प्रधान अभियंता राकेश सहगल, असरार उच्च शिक्षा संस्थान मशहद ईरान के अध्यक्ष (चांसलर) डॉ. हामिद सारेमी एजहिल यूनिवर्सिटी यूके के डॉ. हरिमोहन पांडेय, मलाया विश्वविद्यालय मलेशिया की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवी रावण, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से डॉ. जून वांग, स्कूल ऑफ कम्प्यूटर साइंस ऑस्ट्रेलिया की विज्ञान संकाय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रिची नायक, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ पम्पास, समाधान स्वामी एनसीआर से राहुल बंसल, वीवीडीएन गुढगांव से सुब्नेश शर्मा, आईआईटी कानपुर प्रो. जे राजकुमार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सिस्टम एकीकरण समूह यूआर राव उपग्रह केन्द्र बैंगलोर से पुनीत मिश्रा, मेलबर्न विश्वविद्यालय प्रो. राजकुमार बुय्या, अतिथियों में आईआईटी कानपुर से डॉ. संजय मिततल, आईबीएम के विशिष्ट इंजीनियर डॉ. समीप मेहता आईआईटी धनबाद के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रमेश धारवाथ, इंडस्ट्री 40 हाउ टू ग्राइव एंड सर्वाइव एसोसिएट डायरेक्टर आशीष कौल, अबेडकर विश्वविद्यालय जालंधर के पूर्व प्रो वीसी डीटीयू एवं पूर्व निदेशक प्रो. गोइनुद्दीन, आईआईटी खड़गपुर से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रजत सुधा, आईआईटी इंदौर से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिर्वान सेनगुप्ता, आईआईटी भिलाई से प्रोफेसर डॉ. संतोष विश्वास, अलब विश्वविद्यालय के डॉ. कार्तिक शंकर, केप पेनिनसुला प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय दक्षिण अफ्रीका से डॉ. विपिन बाल्यान, अमेजन के प्रबंधक बांकेबिहारी शर्मा, आईआईटी गुवाहटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुमित भट्टाचार्य, मैककोनेल इंजीनियरिंग बिल्डिंग मॉन्ट्रियल कनाडा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदित्य महाजन, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर प्रदीप कुमार गर्ग, बीएआरसी बॉम्बे के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख रेडियोलॉजिकल फिजिझा डॉ. देवव्रत दत्ता आदि वरिष्ठ वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।

सभी अतिथियों का स्वागत जीएलए के प्रो. ए एस जलाल, कांफ्रेंस के जनरल चेयर प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने कांफ्रेंस की थीम प्रस्तुत की। विशिष्ट अतिथियों का परिचय प्रो. दिवाकर भारद्वाज एवं डॉ. आशीष शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर अबिका गुप्ता ने किया।

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