जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के एमटेक इन कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक एण्ड कम्यूनिकेशन, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग एवं एनर्जी सिस्टम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के लिए एक सुनहरा अवसर है। प्रवेश लेते ही तुरत स्कॉलरशिप एवं पढ़ाई के दौरान शोध के कई अवसर छात्रों को प्रदान होंगे। न्यूजन आइईडीसी के माध्यम से स्टार्टटप शुरुआत करने में भी सहायता मिलेगी।

इस कोर्स में दाखिले के लिए बीटेक, एमएससी फिजिक्स फॉर एनर्जी सिस्टम अथवा एमसीए अहर्ता वाले अभ्यर्थी को कम से कम प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने आईआईटी गेट परीक्षा क्वालीफाई कर चुके है। उनके लिए जीएलए विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा अनिवार्य नहीं है। ऐसे छात्रों को सामान्य तरीके से एमटेक कोर्स में दाखिला मिल जाएगा। प्रवेश प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इसके साथ ही प्रत्येक आईआईटी-गेट क्वालिफाइड अभ्यर्थी को एक लाख 33 हजार रुपये की स्कॉलरशिप तथा ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने आईआईटी-गेट परीक्षा क्वालीफाई नहीं की है, उनके लिए भी एक लाख 5 हजार रुपये की स्कॉलरशिप प्रतिवर्ष प्रदान की जाएगी। प्रवेश के समय ही छात्रों को स्कॉलरशिप मिल जायेगी। यानि जो कोर्स की फीस होगी वह स्कॉलरशिप घटाकर जमा करनी होगी।

एमटेक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के कॉर्डिनेटर डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि विभाग में छात्रों के रिसर्च के लिए उच्च गुणवत्ता की प्रयोगशालायें और तीन सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस की प्रयोगशालायें हैं, जो कि इंडस्ट्री ऑरिएंट इक्यूपमेंटस सॉफ्टवेयर फैडेन्स ने बताया कि वरचूसो, टैनर टूल, टैक्सास, इन्स्ट्रूमेंट सेंटर, लैब व्यू, एनआइ मायरियो आदि के माध्यम से तकनीकी ज्ञान में दक्ष किया जाता है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के कॉर्डिनेटर डॉ. सुभाष चन्द्रा ने बताया कि वर्तमान में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ते रुझान एवं पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए भारत सरकार ने 175 मेगावाट बिजली 2022 तक उत्पादित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकारी एवं प्राइवेट कंपनियों की जरूरत के के कॉर्डिनेटर अनुसार जीएलए के इलेक्ट्रिकल विभाग में एमटेक एनर्जी सिस्टम कोर्स का संचालन किया जा रहा है। इसके माध्यम से छात्र भविष्य अक्षय ऊर्जा स्त्रोंतों के उपयोग में बढ़ावा देने पर जोर देंगे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के कॉर्डिनेटर डॉ. विजय द्विवेदी ने बताया कि यांत्रिकी विभाग छात्रों को लगातार शोध एवं नये नये स्टार्टटप के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। विभागीय शिक्षकों के सफल मार्गदर्शन में छात्रों द्वारा 2 पेटेंट ग्रांट और 2 पेटेंट पब्लिश हुए। इसी कड़ी में छात्रों के 100 से अधिक शोध एससीआई सहित स्कोपस और संगोष्ठी में प्रकाशित हुए हैं। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के कॉर्डिनेटर डॉ. महेन्द्र कुमार पाल ने बताया कि छात्रों को सीड मनी के तहत ग्रांट भी दी जायेगी, जिससे वह इस क्षेत्र में इस्तेमाल आने वाले आधुनिक तकनीकी यंत्र खरीद सकें। साथ ही अपने रिसर्च पर भी ध्यान दे सके। कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के कॉर्डिनेटर डॉ. संदीप राठौर ने बताया कि आज समय व्यक्ति को जरूरत है तो नई-नई तकनीकों की कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग से एमटेक करने के दौरान आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस डेटा साइंस और डीप लर्निंग पर विशेष रूप से शोध करने वाले छात्रों के • लिए जीपीयू सिस्टम व वर्कस्टेशन की सुविधा उपलब्ध है।

एसोसिएट डीन एकेडमिक कोलाबोरेशन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय में रिसर्च की व्यवस्थाओं पर नजर डालते हुए कहा कि इंजीनियरिंग छात्रों के लिए विश्वस्तरीय शिक्षा दिलाने के लिए दर्जनों देश और विदेशी संस्थानों और कंपनियों एफएचएस यूनिवर्सिटी यूएसए. यूनिवर्सिटी ऑफ थॉमस यूएसए, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सेनबर्नाडिनो यूएसए, यूनिवर्सिटी ऑफ मलेशिया, इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स एकेडमिया ताइवान, जादवपुर यूनिवर्सिटी कोलकाता, सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी गया आदि से करार किया गया है। इस करार के माध्यम से अन्य संस्थानों के विषय विशेषज्ञ जीएलए के इंजीनियरिंग छात्रों से रूबरू होंगे।

विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद सिंह जलाल, प्रो. विनय देवलिया, प्रो. पीयूष सिंघल, प्रो. सुधीर गोयल ने बताया कि विभाग में एमटेक तथा पीएचडी स्तर पर शोध को बढ़ावा देने के लिए मुख्य रूप से चार रिसर्च ग्रुप्स का गठन किया गया है, जिनमें ‘इमेज एंड विडियो प्रोसेसिंग कंप्यूटर विजन एण्ड इंटेलीजेंट सिस्टम्स’, ‘इनफार्मेशन रिट्रीवल डेटा माइनिंग एंड बिग डेटा एनालिटिक्स’, ‘इन्टरनेट ऑफ थिंग्स, कंप्यूटर नेटवर्कस एंड इंफार्मेशन सिक्योरिटी स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, जीओ टेक्निकल, ट्रांसपोरशन, पावर सिस्टम स्टेबिलिटी, सोलर फोटोवोल्टाइक, सिस्टम डिजाइन, हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, माइको ग्रिड्स एंड समृत ग्रिड्स, कन्वर्टर डिजाइन, इलेक्ट्रिक ड्राइव्स, सोलर पीवी डिजाइन, विड एनर्जी सिस्टम्स, एनर्जी ऑडिटिंग एंड मॉनिटरिंग, माइकोइलेक्ट्रॉनिक्स एंड वीएलएसआई, सिग्नल प्रोसेसिंग एंड कम्युनिकेशन कन्ट्रोल ऑटोमेशन एंड नेटवर्क, नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑर्गेनिक सोलर सेल्स, फोटोवोल्टाइक सिस्टम्स, आरएफ एंड मिकोवावेस ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स तथा “सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एंड डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम्स’ जैसे बहुउद्देशीय ग्रुप्स शामिल हैं, जिसके माध्यम से विद्यार्थी तथा शोधार्थी अपनी रूचि के अनुसार किसी भी रिसर्च ग्रुप में अपने शोध के स्तर को बढ़ा कर अपनी योग्यता साबित कर सकते हैं।

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