Ranveer Singh Nude Photoshoot: फैशन वर्ल्ड की चमक ने सितारों को आसमान की बुलंदियों पर भी पहुंचाया है और गर्दिश के दिन भी दिखाये हैं। ग्लैमर से भरपूर, नाम-शोहत और पैसे की चकाचौंध से लबालब इस दुनिया की हकीकतें बुद्धिजीवियों में हमेशा ही बहस का विषय रहा है। इसमें सबसे ऊपर रहा है ‘जिस्म-नुमाइश’ या कहें ‘बॉडी-एक्सपोजर’, जिसे फैशन-एंटरटेनमेंट वर्ल्ड में हमेशा ही प्रसिद्धि पाने का एक आसान जरिया बताया जाता रहा है। कोई बड़ी बात नहीं है अगर रणवीर सिंह ने नेकेड फोटोशूट कराया और इसने इस बहस को दुबारा छेड़ दी।

आज इंटरनेट और सोशल मीडिया का जमाना है, आग की तेजी सी रणवीर सिंह की वो न्यूड तस्वीरें लोगों तक पहुंची और रणवीर सिंह को चीयर करते हुए भी कमेंट बॉक्स में फायर साइन भी भेजे। किसी ने इसे खबरों में रहने का सस्ता स्टंट भी बताया, तो किसी ने मुकदमा भी दायर किया, पर जब रणवीर सिंह से इसपर रिएक्शन मांगा गया, तो वे एक अप्रत्याशित उत्तर देते हैं, “मेरे लिए फिजिकली नेकेड होना बहुत आसान है। मेरी कुछ परफॉर्मेंस में मुझे नेकेड किया गया है। आप उनमें मेरी आत्मा को देख सकते हैं। कितनी नेकेड है वो? मैं हजारों लोगों के सामने अपने सारे कपड़े उतार सकता हूं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन वहां मौजूद लोग थोड़ा अनकम्फर्टेबल हो जाएंगे।”

वे एक टर्म यूज करते हैं – “फिजिकली नेकेड”, जो इस फोटोशूट को सस्ती पॉपुलरिटी पाने के मकसद से बिल्कुल अलग एक अध्यात्मिक दृष्टिकोण पर ले जाती है। यह कोई छोटी बात नहीं है अगर रणवीर सिंह भीड़ के सामने भी बिना कपड़ों के कंफर्टेबल होने की बात करते हैं, अपनी आत्मा की नग्नता को समझने की बात करते हैं। पर क्या यह सबकुछ इतना आध्यात्मिक है? जाहिर सी बात है कि ‘ग्लैमर की चकाचौंध’ और अध्यात्म में ‘कंचन काया और माया की वास्तविकता’, दोनों नदी के दो किनारों की तरह हैं, जो कहीं मिल नहीं सकते। तो क्या रणवीर सिंह की ये आध्यात्मिकता एक प्रपंच है? या लोगों की ऐसे फोटोशूट को देखने का नजरिया गलत है, लोगों को ऐसे फोटोशूट को देखने का नजरिया बदलने की जरूरत है?

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एक फोटोशूट से मिले 55 करोड़?

सोशल मीडिया पर उड़ती एक खबर के अनुसार रणवीर सिंह को इस फोटोशूट के लिये 55 करोड़ रुपड़े मिले, लेकिन दूसरी खबरों की मानें तो ये शूट ‘पेपर मैगजीन (Paper Magazine) की कवर के लिये है और कोई भी मैगजीन स्टार्स को फोटोशूट के लिये पैसे नहीं देती। कवर के जरिये स्टार्स को पॉपुलरिटी मिलती है और मैगजीन की प्रतियां बिकती हैं, यही फायदा दोनों के लिये होता है और रणवीर सिंह के इस कवर शूट में भी दोनों पक्षों के लिये इसी लाभ-हानि का गणित है।

बर्ट रेनॉल्ड्स (Burt Reynolds) को श्रद्धांजलि

एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार रणवीर की ये शूट दिवंगत अमेरिकन ऐक्टर ‘बर्ट रेनॉल्ड्स’ को श्रद्धांजलि है, जो ‘अमेरिकन पॉपुलर कल्चर’ के आइकन और अपने समय में सेक्स-सिंबल माने जाते रहे हैं। कभी बर्ट रेनॉल्ड्स ने भी ठीक ऐसे ही पोजेज देते हुए फोटोशूट कराये थे। ”The Last Bollywood Superstar” टाइटल के साथ रणवीर सिंह को उन पोजेज में शूट करते हुए पेपर मैगजीन ने ये कवर दिवंगत अमेरिकन अभिनेता को श्रद्धांजलि बताई है।

न्यूडिटी: कपड़े उतारने का शौक, फैशन या जल्दी फेम पाने का आसान तरीका?

गूगल पर उर्फी जावेद सर्च करते ही 1 करोड़ 43 लाख सर्च रिजल्ट मिलते हैं। उर्फी ने मात्र 2113 पोस्ट किये हैं, उनके 3.4 मिलियन फॉलोअर्स हैं। खबरों की मानें, तो उर्फी की नेटवर्थ 1 मिलियन डॉलर है। कौन हैं उर्फी जावेद कि वो साल 2022 में सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली एशियन हस्ती हैं? उन्होंने अब तक कुछ टीवी शोज किये हैं बस, पर उनकी पॉपुलरिटी टीवी एक्टर्स से कहीं आगे है, कैसे? इनका इंस्टाग्राम खंगालते ही ‘न्यूड नहीं, पर न्यूड से कम नहीं’ फोटोज की भरमार है। हर फोटो और इंस्टाग्राम रील पर हजारों और लाखों में लाइक्स हैं, इनकी फोटोज खबरों का हिस्सा बन रही हैं। आखिर कैसे? क्या ये सिर्फ न्यूडिटी की वजह से?

अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उर्फी जावेद खुद को आर्टिस्ट बताती हैं। एक मुस्लिम परिवार से आनेवाली उर्फी पेशे से फैशन डिजाइनर हैं और मास कम्यूनिकेशन भी किया है। खबरों की मानें, तो उन्हें ऐक्टिंग का शौक रहा है। हाल ही में एक इंटरनेशल फैशन डिजाइनर ने उर्फी के फैशन की तारीफ की थी, जिसके लिये इस इंस्टाग्राम-स्टार ने खूब सुर्खियां बटोरीं। रणवीर सिंह के प्रति अपना प्यार दिखाकर भी वो सुर्खियों में रहीं।

पूनम पांडे का नाम आते ही याद आता है 2016 का वो वाकया जब किसी ने वर्ल्ड कप क्रिकेट में इंडिया के जीत जाने पर न्यूड होने की बात कहकर तहलका मचा दिया था। अपने इस स्टेटमेंट से पूनम पांडे अचानक ही लाइमलाइट में आ गईं। बंग्लादेश को हराकर इंडिया के वर्ल्ड कप जीतने पर सेमी न्यूड पोज में पिक्चर शेयर कर वो फिर लाइमलाइट में आईं।

आमिर खान जैसे परफेक्शनिस्ट स्टार भी पीके (PK) के पोस्टर में बिना कपड़ों के नजर आए। पोस्टर ने आते ही बहस छेड़ दी। आमिर, जो साल में एक फिल्म करने के लिये जाने जाते रहे हैं, जिनकी फिल्में पब्लिसिटी की मुहताज नहीं मानी जातीं, क्या ये सिर्फ पब्लिसिटी के लिये था?

मिलिंद सोमन, पूजा बेदी, मधु सप्रे जैसे 90’s के कई ऐक्टर्स के नाम इस लिस्ट में हैं जो अपने न्यूड फोटोशूट के कारण उस वक्त का मीडिया सेंसेशन बन गये। आज वो मीडिया चाहे इंटरनेट की तेज रफ्तार में मिलियन व्यूज का सेंसेशन क्यों न बनाती हो, कल के स्टार्स के अपने सेंसेशन माध्यम थे। पूजा बेदा का ‘कंट्रोवर्शियल कंडोम ऐड’ बैन कर दिया गया था, उनपर भी मुकदमा चला, इसके लिये वो लगातार चर्चा में रहीं। मिलिंद सोमन का मधु सप्रे के साथ न सिर्फ न्यूड, बल्कि बेहद बोल्ड पोज में कराया गया फोटोशूट बॉलीवुड की

अब तक की सबसे बड़ी कंट्रोवर्सी में रहा है और मिलिंद पर उसके लिये 7 साल केस भी चला। बावजूद इसके अपने 55वें बर्थडे पर वो बीच पर फिर न्यूड दिख गये, फिर इसके लिये सुर्खियों में आ गये।

यहां पश्चिम के स्टार्स और मॉडल्स को शामिल नहीं करते हैं क्योंकि वहां की सोच और कल्चर के अनुसार इसका आंकलन एक अलग विचारधारा और सोच के साथ की जाएगी। रणवीर सिंह के इस हालिया न्यूड फोटोशूट पर एक एफआईआर यह कहकर दर्ज कराई गई कि यह महिलाओं की भावनाओं को आहत करता है।  

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एक सोशल एंगल भी

पूजा बेदी इसपर कहती हैं – सेक्स, सेक्सुअलिटी और सेंसुअलिटी नॉर्मल है।

भारतीय समाज में कपड़े मर्यादा का एक हिस्सा माने जाते हैं, चाहे वह रेप के मामले हों या छेड़खानी या फिल्मों-विज्ञापनों में औरतों को ग्लैमराइज करके, सेक्स-सिंबल की तरह दिखाने का मुद्दा, यह हमेशा समाज का वह कुरूप हिस्सा बताया जाता रहा है, जिसमें औरतों को एक सेक्‌सुअल जरूरत से ज्यादा कोई तरजीह नहीं दी जाती। एक पारंपरिक विचारधारा कहती आई है कि शर्म का पर्दा कपड़ों से ढंककर रखी जाये, तो मर्यादा बची रहती है। एक कुरूप सोच औरतों को कम कपड़ों में देखना पसंद करती है और फिर उसकी बुराई भी करती है। इनसे विरोधाभास रखने वाली और खुद को क्रांतिकारी कहने वाली एक सोच ऐसी भी है, जो सेक्स और सिम्बॉलिक सेक्सुअल चीजों को पर्दे से निकालकर उसपर बात की जाने की जरूरत बताती है। फैशन और एंटरटेनमेंट वर्ल्ड में ज्यादातर इस सोच को सही बताते हैं, हालांकि विरोधाभास हर जगह है। इनकी नजर में जब तक चीजें ढकी-दबी होती हैं, उनके प्रति जिज्ञासा बढ़ती है और सेक्सुअल मुद्दों पर इससे आगे बढ़कर वह क्राइम का रूप लेती है।

ऐसी सोच के अनुसार न्यूड फोटोशूट भी समाज को खुलेपन के साथ बहस करने का मौका देने वाला हो सकता है, जैसा कि रणवीर सिंह की बातों से लगता है, जब वो ‘आत्मा की नग्नता’ और ‘शारीरिक नग्नता’ को अलग करते हुए बात करते हैं। यह उर्फी जावेद की क्रिएटिविटी भी हो सकती है और यह पूनम पांडे का इंडियन टीम को वाकई में मोटिवेशन देने का मकसद भी हो सकता है… और… इन सबसे अलग यह सस्ती पब्लिसिटी पाने का स्टंट भी हो सकता है।

बहरहाल, इन सभी सोच के साथ एक जो बात निकलकर आती है, वह है नजरिया! इनके नजरिये क्या हैं, इनके लिये ये व्यक्तिगत लाभ-हानि से जुड़ी बात हो सकती है, पर आप उसे कैसे देखते हैं, वह आपका ही नजरिया दिखाता है।

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