इस कोरोना की महामारी ने सभी को शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया है। जो लोग कोरोना से ठीक भी हो चुके हैं उनका कहना है कि वो शारीरिक और मानसिक रूप से इतना कमजोर हो चुके है कि खुद को बिल्कुल एक्टिव फील ही नहीं कर रहे। ऐसा लग रहा है मानों कि जैसे शारीर के अंदर जान ही नहीं रहे गयी है। कोरोना की वजह से खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करने वालों में से एक बॉलीवुड एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा। हाल ही में, मलाइका ने कोरोना से रिकवर होने के बाद अपनी एक पिक्चर इंस्टाग्राम पर शेयर की। पिक्चर के शेयर के साथ उन्होंने बताया कि कैसे वो कोरोना संक्रमित होने के बाद कमजोर और निराश महसूस करती थीं।

मलाइका ने अपना दर्द बयां कर लिखा कि – तुम बहुत लकी हो, तुम्हारे लिए चीजे आसान होंगी, ऐसी चीजे हैं जो मैं अक्सर अपने लिए सुनती हूं….सच कहूं तो लाइफ में कई चीजों को लेकर मैं खुशनसीब हूं, लेकिन आपकी जो किस्मत होती है वो बहुत छोटा रोल प्ले करती है। आराम से..बॉय…ऐसा नहीं होता। मैं 5 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी और मेरे लिए यह बहुत मुश्किल समय था। जो इंसान ये बोलता है कोविड रिकवरी आसान होती है। मैं आपको बता दूं ये सिर्फ उन लोगों के लिए आसान होती है जिनकी इम्युनिटी अच्छी होती है और जो कोविड से जूझना जानते हैं। मैं इससे निकली हूं आसान शब्द नहीं है ये।

आगे मलाइका ने लिखा कि – मुझे कोरोना ने शारीरिक रूप से पूरी तरह से तोड़ दिया है। घर में 2 कदम चलना मेरे लिए बहुत मुश्किल होता था। मैं सिर्फ अपने बिस्तर से उतरती थी और घर की खिड़की पर जाकर खड़ी हो जाती थी। ये सब करना भी मेरे लिए बहुत मुश्किल था। मेरा वजन बढ़ गया था। मैं खुद को बहुत कमजोर महसूस कर रही थी। मुझमें स्टैमिना बिल्कुल नहीं बचा था। परिवार से दूर रहते हुए मेरे दिमाग में न जाने क्या-क्या चल रहा था। आखिरकार 26 सितंबर को मेरी कोरोना निगेटिव आई। मैं खुद को खुशनसीब समझती हूं कि मैंने कोरोना को हराया, लेकिन इसके बाद मेरे अंदर बहुत कमजोरी थी। मैं काफी निराशाजनक हो गई थी। मेरा दिमाग और बॉडी मुझे सपोर्ट नहीं कर रहे थे। मुझे ये सोचकर डर लग रहा था कि मुझे दोबारा एनर्जी मिल पाएगी या नही ? मुझे लगता था कि क्या मैं 24 घंटों में अपनी कोई एक एक्टिविटी पूरी कर पाउंगी।

अंत में मलाइका ने लिखा कि – जब मैंने पहली बार वर्क आउट किया तो बहुत तकलीफ हुई। मैं अच्छे से नहीं कर पा रही थी। लेकिन फिर मैंने दूसरे दिन खुद को समझाया कि मैं अपनी चीजें कर सकती हूं। फिर तीसरे दिन, चौथे दिन, पांचवे दिन और हर रोज करती रही। अब 32 हफ्ते हो चुके हैं और मैं नेगेटिव हूं। अब मैं वर्कआउट कर पा रही हूं। ठीक से सांस ले पा रही हूं। मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर और मजबूत महसूस कर रही हूं। चार लेटर के वर्ड उम्मीद (HOPE) ने मुझे पुश किया। मुझे उम्मीद थी कि सब कुछ ठीक होगा। मेरे अदर उम्मीद थी कि मै बेहतर होंगी। उन सभी लोग का शुक्रिया जो मुझे मैसेज करके मेरे हाल चाल पूछ रहे हैं। मुझे जिन्दादिल रहने के लिए कह रहे हैं।

Share.
Exit mobile version