पीआईबी। कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरणगत इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) ने स्वदेशी रूप से विकसित सेलाइन गार्गल (नमक घोल के गरारे) आरटी-पीसीआर तकनीक जिसका उपयोग कोविड-19 नमूनों के परीक्षण के लिए उपयोग किया जाता है, की जानकारी हस्तांतरित कर दी है। सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर प्रौद्योगिकी सरल, त्वरित, सस्ती, रोगी के अनुकूल और आरामदायक है; यह त्वरित जांच परिणाम भी उपलब्ध कराती है और न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के लिए सर्वथा उपयुक्त है।

सीएसआईआर-नीरी ने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित नवोन्मेषण समाज की सेवा के लिए ‘राष्ट्र को समर्पित’ किया गया है। इस जानकारी को गैर-विशिष्ट आधार पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) को हस्तांतरित कर दिया गया है। यह नवोन्मेषण निजी, सरकारी और विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाओं और विभागों सहित सभी सक्षम पार्टियों को वाणिज्यीकरण करने और लाइसेंस प्राप्त करने में समर्थ बनाएगा।

लाइसेंसधारकों से आसानी से प्रयोग करने योग्य कॉम्पैक्ट किट के रूप में व्यावसायिक उत्पादन के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने की अपेक्षा की जाती है। महामारी की व्याप्त स्थिति तथा कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए सीएसआईआर-नीरी ने देश भर में इसके व्यापक प्रसार के लिए संभावित लाइसेंसधारियों को जानकारी हस्तांतरण करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में कल 11 सितंबर, 2021 को मानक प्रचालन प्रक्रिया और सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर प्रौद्योगिकी का औपचारिक हस्तांतरण किया गया। इस अवसर पर, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा: “सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर पद्धति को पूरे देश में, खासकर संसाधन की दृष्टि से निम्न ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में कार्यान्वित करने की आवश्यकता है। इसका परिणाम त्वरित और अधिक नागरिक-अनुकूल जांच के रूप में आएगा तथा महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई को और सुदृढ़ करेगा। एमएसएमई इकाई ने सीएसआईआर-नीरी द्वारा विकसित सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण के लिए सीएसआईआर-नीरी से संपर्क किया था।

सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर प्रौद्योगिकी के प्रमुख आविष्कारक एनईईआरआई के वैज्ञानिक डॉ कृष्ण खैरनार और सीएसआईआर-नीरी, नागपुर में पर्यावरण विषाणु विज्ञान के रिसर्च स्कॉलर की टीम है।

एमएसएमई इकाई को जानकारी के हस्तांतरण के दौरान सीएसआईआर-नीरी (सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर का नवोन्मेषक) के वैज्ञानिक और ईवीसी के प्रमुख डॉ कृष्णा खैरनार, सीएसआईआर-नीरी के निदेशक डॉ. वरी चंद्रशेखर, सीएसआईआर-नीरी के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अध्यक्ष डॉ अतुल वैद्य, एमएसएमई इकाई के निदेशक राजेश डागा और एमएसएमई इकाई के निदेशक कमलेश डागा भी उपस्थित थे। आपको बता दें कि उक्त जानकारी पीआईबी की ओर से प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित कर दी गई है।

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Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

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