व्यायामत‌् लभते स्वास्थ्य दीर्घयुष्यं बले सुखं
आरोग्य परम भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थ साधनम्

“अर्थात व्यायाम करने से स्वास्थ्य,लंबी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है।निरोगी होना हमारा परम भाग्य है,और अगर स्वास्थ्य अच्छा है तो अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं।”
इस संसार में जब मनुष्य का जन्म होता है और जब उसकी मृत्यु होती है तो एक चीज इस जीवन काल के दौरान सदैव उसके साथ रहती है,वो है उसका शरीर। इस सृष्टि में लाखों करोड़ों जीव विद्यमान है,लेकिन अगर सबसे अनमोल और सुकृत प्राणी की हम बात करें तो वो मनुष्य है।मनुष्य शरीर की सरंचना इतनी अद्भुत है कि मनुष्य हर काम अपनी इच्छानुसार कर सकता है।मनुष्य के पास शारीरिक और मानसिक दोनो शक्तियां मौजूद हैं।और इन शक्तियों का प्रयोग करके मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना सकता है।क्योंकि कहा भी गया है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का निवास होता है।”इसलिए स्वास्थ्य मनुष्य की सर्वोत्तम और उच्चतम पूंजी है।

*स्वस्थ शरीर है सबसे बड़ा उपहार*

हर व्यक्ति अपने स्वस्थ जीवन का रचयिता स्वयं ही होता है,इसीलिए तो कहा जाता है कि “स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ा उपहार है,सबसे बड़ी संपत्ति है।”अगर मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ रखेगा तो मन अपने आप स्वस्थ हो जायेगा। जिससे मनुष्य इस संसार की कठिन से कठिन मंजिल को भी हासिल कर सकता है।जटिल से जटिल परिस्थिति का सामना कर सकता है।मनुष्य के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक तौर पर स्वस्थ होना भी बेहद ज़रूरी है। क्यूंकि आधुनिकता के मद में डूबा इंसान आज दिन-रात काम करना चाहता है,लेकिन इंसान ये भुल जाता है कि दिन-रात काम करने के लिए,हर वक्त एनर्जी से,ताकत से भरे रहने के लिए इंसान को अपने स्वास्थ्य को भी तरज़ीह‌ देनी पड़ेगी।अपनी दैनिक जीवन शैली में थोड़ा परिवर्तन करना पड़ेगा।दैनिक जीवन में योग,व्यायाम आदि के ज़रिए ख़ुद को चुस्त और दुरुस्त रखना भी बाकी हर काम से महत्वपूर्ण है।

*अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपनाएं ये आदतें*

जिसे उच्चतम स्वास्थ्य का पूरा सुख प्राप्त है,खुलकर भूख लगती है,सुकुन भरी नींद आती है,और जो अपने शरीर के सब अवयवों को पूर्ण स्वस्थ रखता हुआ स्वस्थ मन भी रखता है,रोगमुक्त है,स्थिर और शांतचित्त है,वह मानो स्वर्ग में ही निवास करता है।अच्छे स्वास्थ्य को पाने के लिए सबसे पहले अपने दिमाग यानि चित्त को शक्तिशाली बनाना भी ज़रूरी है,क्योंकि मनुष्य शरीर हमारे दिमाग के अनुसार या निर्देश पर ही काम करता है।हम अच्छी सेहत तभी पा सकते हैं जब सभी तरह की चिंताएं अपने दिमाग से निकल दें।चिंता मुक्त मन के साथ जब स्वस्थ तन का मेल होगा तो मनुष्य उस पूर्णता के साथ जीवन में सफलता अर्जित करेगा जिसका कोई मोल न होगा।इसलिए दैनिक जीवन में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक व्यायाम,प्राणायाम,योग, पौष्टिक आहार,और शुद्ध विचार का निर्वहन ज़रूर करें।

इन पहलुओं पर भी करें गौर*

आज के समय में मनुष्य हर क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है,आगे बढ़ना हमारे जीवन का हिस्सा है,लेकिन हम सबसे पहले,सबसे तेज़,सबसे आगे रहने की सोच के कारण न भोजन ठीक से करते है,ना व्यायाम,ना प्राणायाम,जिसके कारण धीरे धीरे हमारा शरीर हमारा साथ देना बन्द कर देता है,और मनुष्य न चाहते हुए भी अपने जीवन में डॉक्टरों को,दवाइयों को आमंत्रित कर लेता है।अगर देखा जाए तो हमारे ख़ुद के डॉक्टर हम ख़ुद भी बन सकते हैं,जितना पैसा और समय हम अस्पतालों में बीमार हो जाने के बाद खर्च करते है,अगर इतना समय रोज़ाना अपनी सेहत,अपने स्वास्थ्य को दें तो कभी अस्पतालों का रुख़ ही नहीं करना पड़ेगा।
मौजूदा समय में भी अगर कोरोना महामारी से जो लोग जूझ रहे है,अगर इसके एक पहलू पर गौर किया जाए तो इसका कारण कहीं ना कहीं हम खुद भी हैं।क्योंकि कमजोर शरीर पर ही बीमारियां अटैक करती हैं, ये बात अब हमें समझ लेनी चाहिए।

*इनसे करें दोस्ती*

एक मनुष्य के लिए जहां जीवन यापन के लिए भोजन,पानी,ऑक्सीजन आदि की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है।इसके साथ-साथ इंसान के जीवन में खुशी का भी उतना ही महत्व है,अगर इंसान अपने जीवन में खुश है,तो वो किसी भी चीज़ को हासिल करने के लिए दोगुना शक्तिशाली बन जाता है,खुशी एक सकारात्मक पहलू है।जो इंसान को आगे बढ़ने के लिए लगातार प्रेरित करती है।इसलिए खुशी से,सकारात्मक विचारों से,प्रकृति से दोस्ती करे।क्योंकि प्रकृति ने मनुष्य को हवा,पानी और आहार के रूप जो उपहार भेंट किए हैं,ये अनमोल है।इनके साथ दोस्ती करके हम अपने जीवन को और महका सकते हैं।

*योग है स्वस्थ जीवन का आधार व परमात्मा से मिलन का द्वार*

योग हमें खुशी,शांति और पूर्ति की एक स्थाई भावना प्रदान करता है। योग मन के उतार – चढ़ाव को स्थिर करने की एक प्रक्रिया है। “योग का अर्थ है,जोड़ यानि जुड़ना।” आत्मा का परमात्मा से मिलन या जुड़ाव। क्योंकि योग के माध्यम से मनुष्य इस नश्वर संसार की चिंता छोड़कर उस परम,उच्चतम,सर्वोत्तम, श्रेष्ठतम परमात्मा से जुड़ जाता है,और अन्य सभी भावों से दूर निज आत्मस्वरूप को धारण कर लेता है।और जब मनुष्य को अपने आत्म स्वरूप का ज्ञान होता है,तो मनुष्य परमात्मा के समान स्वयं को शक्तिशाली अनुभव करता है।तन और मन से मज़बूत प्राणी को संसार की कोई ताकत मात नहीं दे सकती।इसीलिए अच्छा स्वास्थ्य मनुष्य के लिए सर्वोत्तम उपहार है।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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