नई दिल्ली/ मनुष्य के शरीर की सारी कार्यप्रणाली उसके मस्तिष्क पर ही निर्भर करती है। हर एक छोटे-से छोटा काम हो या चाहे फिर कोई बड़ा काम, सारे फैसले दिमाग के जरिए ही होते हैं। कभी-कभी दिमाग की कार्य क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है और लोगों को किसी न किसी प्रकार की मानसिक बीमारी का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते है साइकोलॉजिस्ट उपासना चड्ढा और NIMHANS के साइकेट्रिस्ट और सोशल मीडिया थेरेपिस्ट डॉक्टर मनोज शर्मा से, की कैसे इस महामारी से बच्चों, युवाओं और पेरेंट्स की जुड़ी मानसिक सेहत सही रखे।

कोरोना महामारी ने दिमाग पर बहुत असर डाला है। इस महामारी में बच्चों, युवाओं और पेरेंट्स हर किसी पर महामारी का असर पड़ा है। महामारी के हालात से निपटने के लिए ये सभी के लिए बहुत कठिन समय है। लगातार घर में रहने की वजह से बच्चों का मानसिक विकास रुक गया है। महामारी में हर चीज ऑनलाइन हो गई है जिसकी वजह से बच्चों का सामाजिक संपर्क बिल्कुल टूट गया है। कई बच्चे घर में खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। कई टीनएजर्स डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

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इन बातों का ध्यान रखे पेरेंट्स
साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर उपासना ने कहा कि इस महामारी में सबसे पहले पेरेंट्स को खुद की लाइफस्टाइल और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना जरूरी है। बच्चों को कभी भी अकेला ना छोड़े और जितना हो सके, उतना बात करें। टीनएजर्स को काउंसलिंग की खास जरूरत होती है। अगर वो किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं तो उन्हें भरोसा दिलाएं कि आप उनके साथ हैं और ये वक्त जल्द ही गुजर जाएगा।

डॉक्टर उपासना का कहना है कि पेरेंट्स को बच्चों के लिए एक गाइडलाइन बनाना बहुत जरूरी है। ऑनलाइन चीजों का भी एक फिक्स टाइम होना चाहिए। जैसे कि कितनी देर गेम खेलना है, कितनी देर टीवी देखना और कितनी देर पढ़ना है। डॉक्टर मनोज ने कहा कि टेक्नोलॉजी पर पेरेंट्स को बहुत ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को मानसिक तनाव से बाहर निकालने के लिए ऑनलाइन से ज्यादा ऑफलाइन एक्टिविटी का सहारा ज्यादा लेना चाहिए। पेरेंट्स को ध्यान देना चाहिए कि बच्चे टेक्नोलोजी के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से बचें। उनकी लाइफस्टाइल पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। लगातार घर में रहने से ज्यादातकर बच्चों में ऑनलाइन गेम खेलने की लत लग गई है और इसका मनोवैज्ञानिक तौर पर भी पड़ रहा है। इतना ही नही इससे बच्चों की फिजिकल हेल्थ भी खराब हो रही है।

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