Maharashtra Coal Block Scam: यह केस महाराष्ट्र की एक कोयला खदान से जुड़ा है। कोर्ट ने इसी मामले में कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा को भी दो साल की कैद की सजा सुनाई है।

दिल्ली की एक अदालत ने महाराष्ट्र में एक कोयला खदान के आवंटन में अनियमितताओं से जुड़े मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को तीन साल की जेल की सजा सुनाई है। मामले की जानकारी रखने वाले एक वकील ने बताया कि विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने मामले में कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव के एस क्रोफा को भी दो साल की सजा सुनाई है और उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। गुप्ता पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

अदालत ने लोहारा ईस्ट कोयला खदान के आवंटन से जुड़े मामले में दोनों को आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी करने और भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया था।इस बीच, अदालत ने दोषी कंपनी ग्रेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (जीआईएल) के निदेशक मुकेश गुप्ता को आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के जुर्म में चार साल की जेल की सजा सुनाई तथा उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। वहीं, कंपनी को भी अलग से दो लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया है।

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क्या है पूरा मामला

एच सी गुप्ता को इससे पहले कोयला घोटाले के तीन अन्य मामलों में भी दोषी ठहराया गया था। इन मामलों में गुप्ता की ओर से सजा के खिलाफ दाखिल याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है। गुप्ता अभी जेल में हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, 2005 से 2011 के बीच आरोपियों ने भारत सरकार के खिलाफ आपराधिक साजिश रची थी। सीबीआई ने यह भी कहा कि कंपनी ने अपने आवेदन में कुल आय 120 करोड़ रुपये होने का दावा किया था, जबकि उसकी कुल आय 3.3 करोड़ रुपये थी। उच्चतम न्यायालय ने 25 अगस्त 2014 को कोयला खदानों के सभी आवंटन रद्द कर दिए थे।

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फैसला सुरक्षित रख आज सुनाई सजा

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने साल 2012 में महाराष्ट्र कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले के मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और कोयला मंत्रालय में पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा की सजा पर फैसला तीन दिन पहले सुरक्षित रख लिया था। स्पेशल जज अरूण भारद्वाज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आज फैसला सुनाने का आदेश दिया था।

20 सितंबर 2012 को सीबीआई ने दर्ज किया था केस

197 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा था कि एचसी गुप्ता पूर्व प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव के साथ तीन बार की बैठकों में उन्हें महाराष्ट्र के लोहारा पूर्वी कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में गलत सूचना दी। इस मामले को सीबीआई ने 20 सितंबर 2012 को दर्ज किया था। इन लोगों पर आरोप था कि कोयला मंत्री और केंद्र सरकार के साथ धोखाधड़ी करने के लिए आपराधिक साजिश रची।

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