Krishna Janmabhoomi Dispute: शाही मस्जिद और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर मंगलवार यानि आज मथुरा जिला न्यायालय में सुनवाई होनी है. न्यायालय ने पिछली सुनवाई में विवाद से संबंधित पुनर्विचार की याचिका को खारिज कर दिया था. उस समय न्यायालय ने इस याचिका को 13 सितंबर तक टाल दिया था.

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वादी पक्ष के अधिवक्ताओं के मुताबिक

वादी पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह और राजेंद्र माहेश्र्वरी ने बताया कि, ‘सोमवार को इंतजामिया कमेटी के सेक्रेटरी वकील तनवीर अहमद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट सेवा संस्थान के प्रतिनिधि व वकील मुकेश खंडेवाल व विजय बहादुर भी मौजूद थे. पुरन्तु यूपी सुन्नी सेंट्रल वोर्ड का कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था’. बताया जा रहा है कि नोटिस को तामील न हो पाने के चलते वक्फ बोर्ड की ओर से कोई नहीं आया. आज कोर्ट की सुनवाई के बाद काफी हद तक मामला स्पष्ट हो जाएगा.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद क्या है?

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि , मुगलों के शासन में औरंगजेब ने मंदिर परिसर में शाही ईदगाह का निर्माण कराया था. उसको वहां से हटाया जाए और 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक भी मांगा है.यह विवाद 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है. इसमें से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास है. औऱ 2.5 एकड़ जमीन ईदगाह मस्जिद के पास है.याचिकाकर्ता मनीष यादव नें कहा है कि, शाही ईदगाह वहां से हटाई जाए व शेष जमीन मंदिर परिसर को दी जाए.

क्या कहता है ईदगाह ट्रस्ट

ईदगाह मस्जिद पक्ष का तर्क है कि, ‘मस्जिद को मंदिर का हिस्सा बतानें वाले लोग मामले को तोड़ – मरोड़ कर पेश कर रहे हैं . ट्रस्ट कहता है, कि इतिहास में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है जो यह बताता हो ईदगाह मस्जिद का निर्माण मंदिर तोड़कर किया गया है.’याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि , ‘मुगलों के शासन में औरंगजेब ने मंदिर परिसर में शाही ईदगाह का निर्माण कराया था. उसको वहां से हटाया जाए और 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक भी मांगा है.’ याचिकाकर्ता मनीष यादव नें कहा है कि, ‘शाही ईदगाह वहां से हटाई जाए व शेष जमीन मंदिर परिसर को दी जाए.’

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हिंदू पक्ष की दलील

वहीं हिंदू पक्ष कहता है, कि ‘औरंगजेब आलमगीर ने 1969 में श्री कृष्ण का मंदिर तुड़वाया था. उसके बाद वहां मस्जिद का निर्माण करा दिया गया था. पक्ष कहता है कि भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण जी का जन्म कंस कारागार में उसी ढांचे के नीचे हुआ था.’

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