प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे के आख़िरी दिन फ्रांस पहुंचे थे। जहाँ उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाक़ात की। हालांकि दोनों नेताओं के बीच यह मुलाक़ात बेहद संक्षिप्त थी।

पीएम मोदी ने ट्वीट किया है- “मेरी फ्रांस की यात्रा हालांकि बहुत संक्षिप्त थी लेकिन यह बेहद उपयोगी रही। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और मुझे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला। जिस गर्मजोशी से उन्होंने और उनकी सरकार ने मेरा स्वागत किया मैं उसके लिए उन्हें धन्यवाद कहता हूँ।”

पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल से एक अन्य ट्वीट में लिखा गया है कि मेरे दोस्त और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिलकर हमेशा ही अच्छा लगता है। हमने विस्तार से द्विपक्षीय मामलों और वैश्विक मुद्दों पर बात की। भारत और फ्रांस विकास के साथी हैं और हमारी साझेदारी अलग-अलग सेक्टर्स में फैली हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे और उनके साथ मुलाक़ात पर मैक्रों ने भी ट्वीट किया है।

मोदी-मैक्रों ने द्विपक्षीय और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने द्विपक्षीय और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मोदी और मैक्रों की एक दूसरे से गले लगने की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने पेरिस में मुलाकात की। यह मुलाकात भारत-फ्रांस की दोस्ती को और गति देगी।’’

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मैक्रों ने ट्वीट किया, “हमने हाल में चल रहे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संकटों पर चर्चा की। साथ ही अपनी रणनीतिक साझेदारी पर भी। फ़ूड सिक्यॉरिटी के मुद्दे पर भी बात हुई।” प्रधानमंत्री मोदी इस साल की अपनी पहली विदेश यात्रा से वापस लौट आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन यूरोपीय देशों- जर्मनी, डेनमार्क, फ्रांस की तीन दिनों की यात्रा के पहले चरण में सोमवार को जर्मनी पहुँचे थे, उसके बाद डेनमार्क और अंतिम दिन फ्रांस।

पीएम की ये यात्रा ऐसे वक़्त हुई, जब यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर पश्चिमी देश लगातार रूस की आलोचना कर रहे हैं। यूक्रेन को हथियार भेज रहे हैं और भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वो भी आलोचना का हिस्सा बने। इसके अलावा जर्मनी सहित पश्चिमी देश रूस के तेल, कोयले और गैस पर भारी निर्भरता कम करने के लिए क़दम भी उठा रहे हैं।

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