सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से आशीष मिश्रा की जमानत को सोमवार तक चुनौती देने पर अपना ज़वाब देने को है।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की निगरानी करने वाली सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की है। लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से मिश्रा की जमानत को सोमवार तक चुनौती देने पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा “निगरानी न्यायाधीश द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को एसआईटी द्वारा दो पत्र भेजे गए हैं, जिन्होंने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए राज्य को लिखा था।”

अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा पीड़ित परिवार पहले ही इस जमानत का विरोध कर चुका है। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने अदालत को सूचित किया कि अतिरिक्त सचिव ने कहा है कि उन्हें पत्र नहीं मिले हैं। इसके बाद पीठ ने जेठमलानी को एसआईटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर गौर करने को कहा, जिसमें राज्य से चार अप्रैल तक जवाब मांगा गया था।

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यूपी सरकार की दलील का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने प्रस्तुत किया कि “इन परिस्थितियों में जमानत रद्द कर दी जाए क्योंकि हाई कोर्ट का फैसला क़ानून के दायरे में है।”

मालूम हो कि बीते साल अक्टूबर 2021 को, लखीमपुर खीरी में विरोध कर रहे किसानों को वाहनों के एक काफिले ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा की एसयूवी भी शामिल थी। मिश्रा की तेज रफ्तार एसयूवी से चार किसानों की मौत हो गई, जिसके बाद गुस्साए किसानों ने ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी।

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