LAC: पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन की चहल-पहल को देखते हुए अब भारतीय सेना ने भी अपनी कमर कस ली है। भारत अपने डिफेन्स को लेकर सतर्क हो गया है। टैंक और तोप को दुश्मन की नजरों से बचाने के लिए 3डी परमानेंट डिफेंस बंकर से लेकर 24 हजार सैनिकों के लिए मोड्यलूर शेल्टर और गलवान घाटी से लगी डीएसडीबीओ रोड पर नए एयर-फील्ड और टैंक वाले पुल तैयार किए जा रहे हैं।

बनाए गये हैं टेक्निकल स्टोरेज

पूर्वी लद्दाख में हुई गलवान घाटी की लड़ाई के बाद से भारतीय सेना लगातार अपनी सैन्य तैयारिओं में खुद को और बेहतर करने में लगी हैं इसका कारण यह है कि भले ही चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर डिसइंगेजमेंट कर लिया है मगर अभी भी चीन के 50-60 हजार सैनिक सीमा के नजदीक ही तैनात हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी हिंसा के बाद से भारतीय सेना ने अपनी तैयारियों को चीन के मुकाबले का कर लिया है। इसके अलावा टेक्निकल-स्टोरेज बनाए गए हैं जो 450 टैंक, तोप और मिलिट्री-व्हीकल्स को दुश्मन से बचाने के लिए कारगर होंगे । सूत्रों के मुताबिक, ये 3डी परमानेंट डिफेंस स्ट्रक्चर (बंकर) हैं जिनपर दुश्मन के टैंक के गोले भी कोई असर नहीं दिखा पाएंगे। भारतीय सेना ने खुद ट्रायल के दौरान अपने टी-90 टैंक से 100 मीटर की दूरी से भी इनपर गोला दागकर परख लिया है। इन 3डी स्ट्रक्चर के लिए भारतीय सेना ने गांधीनगर (गुजरात) स्थित आईआईटी और कुछ स्टार्ट-अप से मदद ली है। इन बंकर्स को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ज्यादा सर्दी का असर इन टैंक और तोपों की परफोर्मेंस पर पर ना हो।

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सर्दी से बचने के लिए बनाए गये मोडियूलर शेल्टर

पिछले दो सालों में सैनिकों के लिए भारतीय सेना ने ऐसे मोडियूलर-शेल्टर बनाए हैं जो -20 डिग्री की ठण्ड में भी 15 डिग्री की गर्मी देते हैं। ये ऐसे शेल्टर है जिन्हे एक हफ्ते के भीतर में ही खड़ा कर लिया जाता है। ये शेल्टर मूवेबल होते हैं। गलवान घाटी की हिंसा से पहले पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना की एक डिवीजन, जिसमें करीब 20-25 हजार सैनिक शामिल थे, तैनात रहती थी। मगर मई 2020 में जब चीन द्वारा युद्धाभ्यास की आड़ में 50-60 हजार सैनिकों को यहां तैनात कर विवाद शुरू किया तब भारतीय सेना ने 20-25 हजार अतिरिक्त सैनिक यहां तैनात कर दिए थे। इसके बाद पूर्वी लद्दाख की 16-17 हजार फीट की ऊंचाई वाली कड़ाके की सर्दी से बचने के उनके रहने के लिए मोडियूलर शेल्टर बनाये गए थे। इन शेल्टर में ठंड का तो ध्यान रखा ही गया साथ ही पानी और बिजली के लिए सोल्जर-एनर्जी और फ्यूल सैल (जेनरेटर) का भी इंतजाम किया गया।

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