उत्तर प्रदेश/ यूपी में सियासी पार्टियों की जंग तेज हो चुकी है। चुनावी बिगुल बजने में 100 दिन से कम का वक्त बचा है।उत्तर प्रदेश के लखनऊ कैंट सीट से एक बार फिर समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ताल ठोंक रही है। अपर्णा का कहना है कि नेताजी का आदेश हुआ तो मैं चुनाव जरूर लड़ूंगी। बता दें कि अपर्णा अभी भी खुद को समाजवादी पार्टी से जुड़ा बताती हैं लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खूब तारीफ भी करती हैं। 2017 में भी अपर्णा ने लखनऊ कैंट से बतौर सपा प्रत्याशी चुनाव लड़ा था और वह भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं। अपने एक इंटरव्यू में अपर्णा ने बेबाकी से मौजूदा राजनीतिक हालात पर टिप्पणी की है।

जब अपर्णा से पूछा गया कि इस बार आप फिर से कैंट सीट से तैयारी कर रही हैं, तो क्या आप सपा से ही लड़ेंगी? इसका जवाब देते हुए अपर्णा ने बताया कि मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैं हमेशा नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के मार्ग का अनुसरण करती आई हूं, जैसा नेताजी कहेंगे वैसा ही मैं करूंगी, जिस सीट से भी नेताजी कहेंगे मैं तैयार हूं, क्योंकि मेरी सीट कैंट विधानसभा है, मेरा जन्म हुआ है, पिछली बार मुझे वहीं से टिकट मिला था, मैंने वहीं से संघर्ष किया, मैंने क्षेत्र छोड़ा नहीं है, बाकी नेताजी जो उचित समझे। जब अपर्णा से आगे पूछा गया कि आपके विरोधी कहते हैं आप भाजपा के नेताओं से मिलती रहती हैं, सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ भी करती हैं, ऐसे में अगर आपको कैंट से बीजेपी टिकट देती है तो क्या आप लड़ेंगी? इसका जवाब देते हुए अपर्णा ने कहा कि देखिए जो भी सत्ता में रहता है उससे मिलना ही पड़ता है, क्योंकि अगर आपको जनमानस का काम कराना है तो उनसे मिलना ही पड़ेगा, मैं उन विरोधियों से कहना चाहूंगी कि मेरा ऊपर आक्षेप मत लगाएं, नेताजी और भईया (अखिलेश यादव) का सानिध्य मिलता रहता है मुझे, बाकी इन लोगों ने शादी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बुलाया था, तो यह आरोप सिर्फ अपर्णा पर ही क्यों? यह बात उचित नहीं है, ये न्याय संगत बात नहीं है।

आगे जब अपर्णा से पूछा गया कि कैंट सीट पर सपा कभी नहीं जीती है, अगर फिर से आप सपा के टिकट पर उतरती हैं तो ऐसे में आपके लिए कितना चैलेंजिंग होगा? इस सवाल का मजेदार उत्तर देते हुए अपर्णा ने कहा कि देखिए सपा के लिए चैलेजिंग से ज्यादा है कि हमारे जितने भी कैंट विधानसभा के पदाधिकारी हैं, वो एकजुट होकर काम करें, क्योंकि सभी लोग एक हो जाएंगे यानी मुट्ठी बंद हो जाएगी और संगठित रहेंगे तो हम चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन इस समय एकजुट नहीं है। आगे अपर्णा से सवाल पूछा गया कि पिछली बार चुनाव हारने के बाद आपने कहा था कि मुझे अपनों ने हरा दिया? तो इसका जवाब देते हुए अपर्णा बोली कि चाचा और भईया की वजह से जो लड़ाई-झगड़ा हुआ, उससे बहुत बिखराव हुआ, समाजवाद में बहुत बिखराव हुआ है, पार्टी को छोड़ दीजिए, कैंट पर भी इसका असर पड़ा, क्योंकि परिवार से मैं लड़ रही थी और कैंट काफी महत्वपूर्ण सीट थी, जब यह विवाद हुआ तो कैंट सीट के लोगों ने सारी चीजें देखी और समझी, इसका काफी ज्यादा वोट पर असर पड़ा, लेकिन फिर भी मैं कैंट के लोगों का धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे बहुत सारा प्यार दिया।

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अपर्णा से जब पूछा गया कि 2016 में मुलायम सिंह यादव की पारिवारिक लड़ाई सड़क पर आ गई थी, तब से अखिलेश और शिवपाल की अलग राह है? जवाब देते हुए अपर्णा ने बताया कि उसकी जिम्मेदारी हमारे परिवार के बड़े लोगों को लेनी चाहिए और उन्होंने ली भी है, अब सारी चीजें सबके सामने हैं, बतौर बहू मैं चाहती हूं कि अब सबको एकजुट हो जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। आगे अपर्णा से पूछा गया कि लखीमपुर हिंसा पर आपकी क्या टिप्पणी है? इसका जवाब दिया कि इस पर मैं पहले भी अपनी भावनाएं व्यक्त कर चुकी हूं, मुझे इस चीज का राजीनितकरण नहीं करना है, क्योंकि सरकार मुआवजा दे चुकी है, मैं बस कहूंगी कि जो भी दोषी हैं, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले।

जब अपर्णा से पूछा गया कि कहा जाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के लिए आपकी सहानुभूति रखती हैं? इसका जवाब अपर्णा ने दिया कि मैं बस इतना कहना चाहूंगी कि वह योगी हैं, मेरे परिवार के संस्कार रहे हैं कि मैं संत-महात्माओं का बड़ा सम्मान करती हूं, उस हिसाब से मैं महाराजजी का बहुत सम्मान करती हूं, मैं उन्हें मुख्यमंत्री बनने से पहले से सम्मान देती आई हूं, मुझे नहीं पता था कि वह मुख्यमंत्री बन जाएंगे, बाकी वह गौरक्षक और गौप्रेमी हैं, इसलिए उन्हें नमन है।

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