डीएनपी डेस्क: उत्तराखंड में अगले महीने 10 फरवरी से विधानसभा चुनाव की शुरुआत होने जा रही है. इस सबके बीच राजनीतिक पार्टियों के द्वारा उम्मीदवारों की लिस्ट की जारी की जा रही है. प्रदेश की वर्तमान स्थिति को देखें तो इस चुनाव में यहां भाजपा और कांग्रेस में सीधी लड़ाई दिख रही है. हालांकि आम आदमी पार्टी की इंट्री ने दोनों बड़े दलों की मुश्किलें बढ़ा दी है. उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी भी पूरा दमखम लगा रही है. इसके अलावा सपा और बसपा भी कुछ सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को टक्कर देती नजर आ रही है.

आपको बता दें कि बसपा को उत्तराखंड में कुछ सीटें मिलती रही हैं, लेकिन सपा को जीत सिर्फ एक सीट पर एक बार ही नसीब हो पाई. वह जीत विधानसभा चुनाव में ना होकर लोकसभा में मिली थी. बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब सपा उत्तराखंड चुनाव में चुनावी ताल ठोक रही है, इससे पहले भी सपा के द्वारा कोशिश की जाती रही है. मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की बुनियाद रखने के बाद पार्टी का पहला सम्मेलन इसी उत्तराखंड के नैनीताल में रखा था. लेकिन इस सब के बावजूद भी राज्य बनने के दो दशक के बाद भी सपा की साइकिल उत्तराखंड में तेजी से नहीं चल पाई है. इसके पीछे की वजह आज से ठीक 27 साल पहले हुई रामपुर की तिरहा कांड बताया जाता रहा है.

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रामपुर तिराहा कांड की याद

आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर एक और दो अक्टूबर, 1994 की रात को उत्तराखंड के लोगों के साथ बर्बरता हुई थी. उस रात न सिर्फ कई लोगों ने अपनी जान गंवाई बल्कि तमाम महिलाओं की जिंदगियां तबाह कर दी गईं थी.

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Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

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