Uttrakhand News: केंद्र सरकार के विद्युत संशोधन अधिनियम 2022 के खिलाफ देशभर के बिजली अधिकारी व कर्मचारी संगठित हो रहे हैं। सोमवार को उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में कर्मचारियों ने एक साथ एकत्रित हो इस बिल का विरोध जताया था। अब 23 नवंबर को सभी कर्मचारी ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के नेतृत्व में दिल्ली में रैली निकालेंगे। सोमवार को इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स सभागार में विद्युत संशोधन अधिनियम 2022 के विरोध में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने शिरकत की। उन्होंने बताया कि “अधिनियम, निजीकरण के विरोध के साथ ही पुरानी पेंशन बहाली पर वह आंदोलन लड़ रहे हैं।”
विशाल प्रदर्शन की हो रही तैयारी
इस मसले को लेकर 23 को दिल्ली में विशाल प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि “यह अधिनियम संसद से पारित होने के बाद आम उपभोक्ताओं एवं किसानों को बिजली बिलों में भारी समस्याएं आएंगी।” उन्होंने चेताया कि “बिल पारित कराने की एक तरफा कार्रवाई हुई तो देशभर के 27 लाख बिजलीकर्मी हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे।”
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रामलीला मैदान से जंतर मंतर तक निकलेगी रैली
विशिष्ट अतिथि ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय महासचिव अभिमन्यु धनकड़ ने कहा कि “वर्तमान बिल से पावर सेक्टर की अरबों खरबों की सार्वजनिक संपत्ति को कौड़ियों के दाम निजी हाथों को सौंपने की तैयारी है।” उन्होंने आगे बताया कि “वह बिजली कंपनियों के एकीकरण और आउटसोर्सिंग समाप्त कर संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए भी 23 नवंबर को रामलीला मैदान से जंतर मंतर तक रैली निकालेंगे।”ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि “लोकसभा से यह बिल संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया है। लेकिन स्टैंडिंग कमेटी ने अभी तक बिजली कर्मचारियों और आम उपभोक्ताओं से इस पर कोई चर्चा नहीं की है।
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