Vice President: द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद आज देश को नया उपराष्ट्रपति मिलने वाला हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए आज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संसद भवन में वोट डाले जाएंगे। इस बार मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गेट अल्वा के बीच होने वाला है। आंकड़ों के मुताबिक देखा जाए तो पश्चिमी बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप की जीत सुनिश्चित लग रही है। आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति का चुनाव किस तरह होता है और इसमें कैसे वोटों की गिनती होती है।

कब होता हैं उपराष्ट्रपति चुनाव

संविधान के मुताबिक उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने के 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना जरूरी होता है। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव आयोग एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता हैं। निर्वाचन अधिकारी किसी भी सदन का सेक्रेटरी जनरल होता है। निर्वाचन अधिकारी चुनाव को लेकर पब्लिक वोट जारी करता है और उम्मीदवारों से नामांकन मंगवाता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव के वोट

बता दें कि लोकतंत्र में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही अहम संविधानिक पद हैं। दोनों पदों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता हैं। इसमें जनता की बजाय उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति के चुनावों में राज्यों के विधान मंडलों के सदस्यों को मतदान का अधिकार प्राप्त हैं। इसमें सभी राज्यसभा और लोकसभा के मनोनीत सदस्य वोट डालते हैं। जबकि राष्ट्रपति चुनावों में किसी भी सदन के मनोनीत सदस्य वोट नहीं डाल सकते।

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चुनाव की प्रक्रिया

अगर कोई सांसद चुनाव लड़ता है तो उसे संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना होता है। उपराष्ट्रपति पद के नामांकन भरने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसद बतौर प्रस्तावक और 20 सांसद बतौर समर्थक दिखाने की शर्त पूरी करनी होती है। इसके अलावा उम्मीदवार संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए।

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वोटों की गिनती

  • 1- काउंटिंग में सबसे पहले यह देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं।
  • 2- अगर कोई उम्मीदवार पहली ही काउंटिंग में जीत के लिए जरूरी कोटे के बराबर या उससे अधिक वोट प्राप्त कर लेता है तो उसे विजेता घोषित किया जाता है।
  • 3- अगर रिजल्ट नहीं मिल पाया है तो इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता हैं। फिर सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को चुनाव की रेस से बाहर किया जाता है।
  • 4- वोटिंग में दूसरी प्राथमिकता किसे देनी है उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटो में देखा जाता है।
  • 5- यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक किसी एक उम्मीदवार के कोटे के बराबर वोट प्राप्त ना हो।

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