बिहार में दीवाली के बाद कई घर उजड़ गये। जहरीली शराब ने कई घरों के चिरागों को बुझा दिया। बिहार में जहरीली शराब का सेवन करने से तकरीबन 40 लोगों की मौत हुई और अन्य लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। वैसे तो बिहार में शराब बैन है लेकिन आज भी राज्य में शराब का कारोबार गलत तरीके से फल-फूल रहा है। लोग धड़ल्ले से कच्ची शराब बना रहे हैं और लोगों तक पहुंचा भी रहे हैं हालांकि शराब जानलेवा कैसे हो जाती है ये बड़ा सवाल है। शराब को बनाते वक्त ऐसा क्या मिलाया जाता है जो शराब को जहरीला कर लोगों की जान तक ले लेता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि शराब आखिर जहरीली कैसे हो जाती है।

जहरीली शराब में मिलावट का कारोबार है पुराना

जहरीली शराब में मिलावट का कारोबार काफी पुराना है। लोग ज्यादा मुनाफे के चक्कर में शराब में कुछ ऐसा मिलाते हैं जिससे वो जहरीली हो जाती है। आम भाषा में इसे कच्ची शराब कहते हैं।कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में ही ये जहरीली हो जाती है। शराब बनाते वक्त सबसे पहले गुड़, शीरा से इसे तैयार किया जाता है लेकिन इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्तियां डाल दी जाती हैं जिससे इसका नशा तेज़ और टिकाऊ हो जाए। शराब को ज्यादा नशीला बनाने के लिए इसमें रासायनिक पदार्थ ऑक्सीटोसिन भी डाला जाता है। ऑक्सीटोसिन डालने से शराब जहरीली और नशीली दोनों हो जाती है और पीने वालों के मौत का कारण बनती है।

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ऑक्सीटोसिन के यूज से शराब होती है जहरीली

शराब में यूरिया और ऑक्सीटोसिन डालने से रासायनिक अपघटन होता है और शराब में मिथाइल अल्कोहल बनने लगता है। जिससे लोगों की मौत हो जाती है।शरीर में जाने के बाद ये तगड़ा केमिकल रिएक्शन करती है।हाल के सालों में ऑक्सीटोसिन को लेकर ये जानकारी सामने आई है कि ऑक्सीटोसिन से नपुंसकता और नर्वस सिस्टम से जुड़ी कई तरह की भयंकर बीमारियां हो सकती हैं।ऑक्सिटोसिन के ज्यादा मात्रा में सेवन करने से आँखों में जलन, ख़ारिश और पेट में जलन हो सकती है और लंबे समय में इससे आँखों की रोशनी भी जा सकती है।

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