सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) के साथ पैदा हुए माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला के बेटे ज़ैन का मंगलवार को 26 साल की उम्र में निधन हो गया। इस दुर्लभ जन्मजात विकार से जैन नडेला पीड़ित थे, जो आज चर्चा में है।

सत्य नडेला ने अक्टूबर 2017 में एक अनुभव साझा किया। उन्होंने उल्लेख किया था कि उनके बेटे का जन्म 13 अगस्त 1996 को रात 11:29 बजे हुआ था, कुल मिलाकर वह तीन पाउंड का था और वह जन्म के वक़्त रोया नहीं था। सत्य नडेला ने कहा “ज़ैन को लेक वाशिंगटन के बेलेव्यू अस्पताल से सिएटल चिल्ड्रन हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसकी देखभाल की गयी। मेरी पत्नी ने मुश्किल से अपनी रिकवरी शुरू की। मैंने अस्पताल में उसके साथ रात बिताई और तुरंत अगली सुबह ज़ैन से मिलने गया। मुझे नहीं पता था कि हमारी ज़िंदगी कितनी गहराई से बदलेगी।”

उन्होंने आगे कहा, “अगले कुछ वर्षों के दौरान, हमने गर्भाशय श्वासावरोध में होने वाले नुकसान के बारे में और अधिक सीखा, और कैसे ज़ैन को व्हीलचेयर की आवश्यकता होगी और गंभीर मस्तिष्क पक्षाघात के कारण हम पर निर्भर रहना होगा। मैं तबाह हो गया था। लेकिन ज्यादातर मेरे और अनु के लिए चीजें कैसे निकलीं, इसके लिए मैं दुखी था।”

हम सब की तरह आपके दिमाग में भी जिज्ञासा ज़रूर होगी कि आख़िर यह बीमारी है क्या? तो आज आइये जानते है कि इस बीमारी के बारे में। सेरेब्रल पाल्सी एक मस्तिष्क-मांसपेशियों की बीमारी है। इसे हिंदी में मस्तिष्क पक्षाघात कहते हैं। यह न तो संक्रामक रोग है और जन्मजात बीमारी।

सिविल अस्पताल के प्रिंसिपल मेडिकल आफिसर डा. संजीव ग्रोवर (फिजिशियन) ने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी बच्चों में उनके मस्तिष्क और मांसपेशियों से जुड़ी समस्या होती है। तीन साल से अधिक उम्र के 1000 में से एक-दो बच्चे इस बीमारी के शिकार होते हैं। एक सर्वे के अनुसार भारत देश में करीब पांच लाख बच्चे इस बीमारी से लड़ रहे है। अधिकतर बच्चों को यह बीमारी मस्तिष्क,दिमाग़ में चोट लगने के वजह से हो जाती है। डरावने वाली बात है कि एक बार यह बीमारी हो जाए तो इसके लक्षण न बढ़ते हैं और न बिगड़ते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों में लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। ग़ौर करने वाली बात है कि कुछ बच्चों को यह बीमारी गर्भाश्य में पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलने के वजह से भी हो जाती है। आसान भाषा में समझे तो यह बीमारी जन्म के समय या उसके तुरंत बाद भी होने की संभावना है। इसी वजह से डॉक्टर हमेशा मां को स्वस्थ रहने की सालाह देते है। बच्चों का टीकाकरण चक्र भी हमेशा समय अनुसार पूरा होना चाहिए।

डा. ग्रोवर के अनुसार यह बीमारी शारीरिक विकास और चलने-फिरने की गति को प्रभावित करती है। यह बीमारी चार प्रकार की (स्पासटीसिटी सेरेब्रल, डिस्किनेटिक सेरेब्रल, अटैक्सिक सेरेब्रल और मिक्सड सेरेब्रल) की होती है। इस बीमारी के इलाज में दवा के साथ-साथ फिजियोथैरेपी की भूमिका भी काफ़ी अहम मानी जाती है।

कैसे पता लगा सकते है इस बीमारी के बारे में?
यह बीमारी सेरेब्रल पाल्सी की पहचान के लिए ब्रेन स्कैन, एमआरआई या क्रेनियल अल्ट्रासाउंड करना ज़रूरी है। इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) से बच्चे के मस्तिष्क की गतिविधियों को नापा जाता है। इसके अलावा रक्त और मूत्र परीक्षण भी किया जाता है इस बीमारी को नापने के लिए।

दुनिया में सेरेब्रल पाल्सी (CP) के साथ 17 मिलियन से अधिक लोग जी रहे हैं। भारत में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने भारत नवजात कार्य योजना (INAP), 2014 के तहत जन्म दोषों की रोकथाम, शीघ्र निदान और प्रबंधन के लिए एक प्रावधान बनाया है। एक अन्य सरकारी पहल, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम भी शुरू किया गया है। इसमें जन्म से लेकर 18 साल तक के बच्चों की शुरुआती पहचान, जन्म के समय दोषों, कमियों, बीमारियों और विकलांगता सहित विकास में देरी को कवर किया जाता है।

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क्या है सेरेब्रल पाल्सी ?
जबकि सेरेब्रल का अर्थ मस्तिष्क से संबंधित है, पाल्सी का अर्थ है कमजोरी या मांसपेशियों के उपयोग में समस्या। इसलिए, सेरेब्रल पाल्सी विकारों का एक समूह है जो गति और मांसपेशियों की टोन या मुद्रा को प्रभावित करता है।

सेरेब्रल पाल्सी के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
विकास में देरी, मांसपेशियों की असामान्य टोन और बैठने की मुद्रा सेरेब्रल पाल्सी के कुछ शुरुआती लक्षण हैं। बच्चा लुढ़कने, बैठने, रेंगने और चलने में धीमा हो सकता है।

सेरेब्रल पाल्सी के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
सेरेब्रल पाल्सी के सामान्य प्रकार हैं: स्पास्टिक, गतिभंग, एथेटॉइड, हाइपोटोनिक और मिश्रित सेरेब्रल पाल्सी।

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