हमारे यहां शुरू से ही गधों का इस्तेमाल काम करने या फिर बोझा ढोने के लिए किया जाता है। अक्सर हम गधे शब्द से किसी को बेवकूफ की उपाधी देते हैं, लेकिन यही गधा अब बहुत ही कारगर समझ आ रहा है,वो इसलिए की अब ऊंट के बाद गधों के दूध को लेकर अब मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। गुजरात में एक ऐसी डेयरी बनने जा रही है जहां गधी का दूध मिला करेगा। इसकी कीमत सुनकर होश उड़ जाएंगे, एक लीटर गधी का दूध सात हजार रुपये तक का हो सकता है। इस हिसाब से यह दुनिया का सबसे महंगा दूध साबित होगा।

दरअसल गधी के दूध में इतनी खूबियां है कि शायद ही आपने कभी सोची होगी।गधी के दूध में बहुत औषधीय गुण होते हैं। प्राचीन मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की सुंदरता के बड़े चर्चे थे, बताया जाता है कि वह गधी के दूध से स्‍नान करती थी। इसमें ऐंटी एजिंग, ऐंटी ऑक्सिडेंट और दूसरे तत्‍व होते हैं जो इसे दुलर्भ बनाते हैं।

गुजरात की स्थानीय हलारी नस्ल के गधे इसके लिए मुफीद माने गए हैं यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में पाए जाते हैं अब गुजरात सरकार सोच रही है कि इन्हें बोझा ढोने वाले पशुओं की श्रेणी से निकालकर दुधारू पक्षी की श्रेणी में रखा जाए और उससे कमाई भी की जाए।विदेशों में दूध की बड़ी डिमांड है। यह साबुन बनाने, स्किन जेल और फेस वॉश में इस्‍तेमाल किया जाता है।

आपको बता दें कि इस नस्ल के गधे और गधी सफेद रंग के पाए जाते हैं। इनकी कद काठी मजबूत और सामान्य होती है। हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो ने भी इन पर रिसर्च की है, जिसमें इन्हें खास नस्ल का बताया गया है

क्या कहता है संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन?

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने जब गधी के दूध को लेकर चर्चा सुनी तो उन्होंने शोध किया,शोध में पाया है कि गधी और घोड़ी के दूध में प्रोटीन इस तरह का है कि जिन लोगों को गाय के दूध से एलर्जी है, यह उनके लिए बहुत बेहतर है।

संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन यह भी कहता है कि इसका उपयोग कॉस्मेटिक्स और फ़ार्मास्युटिकल उद्योग में भी होता है क्योंकि कोशिकाओं को ठीक करने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के भी इसमें गुण हैं।

यह दूध एक इंसानी दूध की तरह है, जिसमें प्रोटीन और वसा की मात्रा कम होती है लेकिन लैक्टॉस अधिक होता है.इसमें आगे कहा गया है कि यह जल्द ही फ़ट जाता है

गधी के दूध के फायदे –

दूध हाथों का संक्रमण कम करता है।

सिरदर्द के लिए बेहतर होता है।

इस दूध में लैक्टोज इंटोलेरंट्स होता है।

यह ऑस्टियोपोरोसिस के लिए उपयोगी है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है।

बाल और सौंदर्य के लिए फायदेमंद है।

क्या सच में गधी का दूध 7 हजार रूपए लीटर बिक रहा?

अभी तक के बहुत सारे निजी चैनलों ने यह दावा किया है कि गधी का दूध ₹7000 प्रति लीटर बिक रहा है, लेकिन एक शोध में पाया गया है कि गधी के दूध का कारोबार भारत में उस तरह से नहीं है जिस तरह से यूरोप और अमेरिका में शुरू हो चुका है। प्रोफेसर रांक कहते हैं कि भारत में अभी शुरुआत है,गधी का दूध महंगा जरूर है लेकिन अभी ₹7000 प्रति लीटर तक नहीं बिक रहा है। वह कहते हैं कि कई मीडिया संस्थानों ने भी ₹7000 प्रति लीटर का आंकड़ा विदेशों के हवाले से।

7 हजार रुपये प्रति लीटर इसका दाम तब हो सकता है जब इसे आप किसी के पास कहीं दूर भेज रहे हों क्योंकि यह जल्दी ख़राब हो जाता है, अगर आप इसे मुंबई में ही हाथों हाथ लें तो 5,000 रुपये प्रति लीटर में मिल जाएगा।

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