हर बार की तरह इस बार भी बुद्ध पूर्णिमा की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए बुद्धपूर्णिमा का खास महत्व होता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा की तारीख को लेकर कुछ दुविधाएं हैं। क्योंकि कुछ पंचांग में 15 मई तो कुछ 16 मई को बुध पुर्णिमा दर्शाई गई है। लेकिन काशी और उज्जैन के पंचांग के अनुसार आज 15 मई रविवार 12:45 बजे पूर्णिमा शुरू होकर 16 मई सोमवार को 9:45 बजे समाप्त हो रही है।
16 मई को मनाई जाएगी बुद्धपूर्णिमा
इस तरह 16 मई को उदया तिथि होने के कारण बुद्धपूर्णिमा 16 मई सोमवार 2022 को मनाई जाएगी। सनातन धर्म के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। बौद्ध धर्म को मानने वाले इस दिन भगवान बुध का जन्म उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन जगह-जगह प्रकाशोत्सव किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर बुद्ध की शिक्षाओं पर ध्यान दिया जाए तो मनुष्य के सभी सांसारिक कष्टों कम हो जाते हैं।
अनुयाई इसे महापरिनिर्वाण कहते
बता दे कि भगवान बुद्ध की मृत्यु 483 ईसवी में पूर्व कुशीनगर में हुई थी। उस समय भगवान बुद्ध की उम्र महज 80 वर्ष थी। बौद्ध धर्म के अनुयाई इसे महापरिनिर्वाण कहते हैं। हालांकि उनकी मृत्यु की तिथि को लेकर कोई भी सर्व सम्मत नहीं है। वैशाख पूर्णिमा के दिन व्रत करना ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ-साथ दान देने का भी विशेष महत्व बताया गया है। प्रकाशित पुस्तकों के अनुसार भगवान बुध का जन्म 553 ईसा पूर्व नेपाल में हुआ था। उस समय उनका नाम सिद्धार्था मात्र 19 साल की उम्र में ग्रहस्थ जीवन का त्याग कर देश का भ्रमण करने के लिए निकले थे।
पूर्ण संसार में जलाई ज्ञान की ज्योति
35 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध को महात्मा बुद्ध के नाम से जाना जाने लगा उन्होंने अपने दिव्य ज्ञान से पूर्ण संसार में ज्ञान की ज्योति जगाई। इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
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