NEW DELHI: उपवास या व्रत रखना हिंदू परंपराओं में शामिल है। साल भर में कई व्रत आते हैं। सावन का महीना चल रहा है और सावन के महीने में 5 सोमवार तक उपवास करना शुभ माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से उपवास करना बेहद शुभ होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उपवास रखने से हमारा शरीर भी स्वस्थ रहता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से इंफेक्शन कम होता है..पेट से संबंधित रोग कम होते हैं साथ ही पाचन क्रिया दुरुस्त होती है। अपने आप कों फिट रखने के लिए कई लोग उपवास का सहारा लेते हैं। पुराने समय में भी ऋषि-मुनि उपवास रखकर और फलाहार से ही लंबी आयु जीते थे।

जिन लोगों को फूड प्वाइजनिंग की दिक्कत बार बार रहती है उनके लिए उपवास रखना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। उपवास में कुछ खाते नहीं है..और पेट की पाचन क्रिया दुरुस्त हो जाती है। जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए भी उपवास बेहतर विकल्प है। व्रत में भूखा रहना होता है. इससे बढ़ते वजन को रोकने में मदद तो मिलती ही है, मेटाबॉलिज्म भी बेहतर बनता है।

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उपवास करने से पेट संबंधी इंफेक्शन कम होते हैं।उल्टी और दस्त जैसे रोगों से भी मुक्ति मिलती है। ये शोध चूहों पर किया गया जहां चूहों को 2 दिन तक भूखा रखा गया। शोध में पता चला कि साल्मोनेला इन्फेक्शन चूहों की आंतों तक नहीं पहुंचा पा रहा है…जबकि जिन चूहों को भूखा नहीं रखा गया था उनकी आंतो तक साल्मोनेला इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। वहीं जब भूखे चूहों के समूहों को एक दिन बाद फिर से कुछ खिलाया गया तो साल्मोनेला की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार भूखे रहने से काफी हद तक आंतों में इंफेक्शन का खतरा काफी कम हो जाता है। 

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