उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है, सभी पार्टियां अपनी योजनाओं पर काम करना शुरू कर चुकी है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को मंजूरी दे दी है। अखिलेश यादव और शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन 22 नवंबर को एक साथ आ सकते हैं। अखिलेश यादव ने बुधवार को बयान दिया कि वह चाचा शिवपाल के साथ ना केवल गठबंधन करेंगे बल्कि उन्हें पार्टी में पूरा सम्मान दिया जाएगा।

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे मजबूत पार्टी होगी। बीजेपी का सामना करने के लिए अखिलेश यादव ने अपनी योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है। वह दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को अपने साथ मिला रहें है, अपने परिवार को एक बार फिर से एकजुट करने में लग गए है। पिछले चुनावों में जब शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अपने हाथ खींच लिए थे, उस वक्त पार्टी को भारी नुकसान हुआ था। इसलिए अखिलेश यादव फिर से वहीं गलती नहीं दोहराना चाहते हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश और शिवपाल के बीच दूरियां बढ़ी थी, दोनों ने आगे के लिए अलग-अलग रास्ते चुनें थे। अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी पर अकेले पूरा कब्जा कर लिया था और शिवपाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। जिसके बाद शिवपाल यादव ने 2018 में अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था, लेकिन वह अब भी अपनी पार्टी को स्थापित करने के लिए जूझ रहे हैं। अगर वह अलग से चुनाव लड़ते है तो जीतना मुश्किल होगा लेकिन वह सपा के वोट जरूर काट देगे इस वजह से अखिलेश यादव अपने चाचा संघ गठबंधन करने को तैयार बैठे है।

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सूचना के अनुसार संपूर्ण यादव परिवार की अब तक कई बार मीटिंग हो चुकी है, दिवाली के मौके पर इस गठबंधन को एक रूप दिया जा सकता है। 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के अवसर पर अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक साथ मंच पर दिखाई दे तो इस बात से किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।

अगर आपको याद हो 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था, लेकिन इस निर्णय से दोनों में से किसी भी पार्टी को कुछ खास लाभ नहीं हुआ था। चुनाव में समाजवादी पार्टी को महज पांच सीटें प्राप्त हुई थी और 18.11 प्रतिशत वोट पड़े थे। यह गठबंधन लोकसभा चुनाव में पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ, इस गठबंधन को तोड़ते हुए मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी ना केवल अपनी सीट बचा सकी बल्कि अपने वोट भी बसपा को न दिला पाई। आपको बता दे उस समय शिवपाल यादव अपनी पार्टी के साथ अलग से चुनाव लड़ रहे थे, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान अखिलेश यादव की पार्टी को हुआ। इसी वजह से अखिलेश गठबंधन के लिए तैयार है।

सूचना के अनुसार अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच सीट के बंटवारे को लेकर बहुत जल्द मुलाकात हो सकती है। बैठक में वह सीटों की संख्या तय कर सकते हैं, अगर सब ठीक रहा तो शिवपाल यादव गठबंधन के लिए प्रचार प्रसार करते नजर आएंगे। शिवपाल के जुड़ने से अखिलेश को प्रचार में काफी मदद मिलेगी और उनका काम थोड़ा कम हो जाएगा।

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