New Delhi: राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का जत्था नए कृषि कानूनों को वापस करने की मांग करते हुए पिछले दो महीने से भी ज्यादा वक्त से आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच संसद में भी किसानों के आंदोलन की गूंज जमकर सुनाई दे रही है. विपक्ष सदन में किसानों के समर्थन में तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की लगातार मांग कर रहा है। इसी बीच सदन के अंदर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने आज एक बेहद हीं दिलचस्प किस्सा किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ सुनाया. उन्होने कहा कि किसानों की ताकत के आगे अंग्रेजों को भी झुकना पड़ा था।

बहुत पुराना है किसानों का आंदोलन:
कांग्रेस नेता गुमाल नबी आजाद ने संसद में बोलते हुए कहा कि, “पहली बार सरकार और किसानों के सामने यह गतिरोध नहीं हुआ है बल्कि इसका इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है. कभी ये जमींदारी तो कभी सरकार के खिलाफ लड़ते रहे हैं. सरकार को अंग्रेजों के जमाने में झुकना पड़ा. कई दिनों से पढ़ रहा था किसानों के आंदोलन के बारे में, खासकर अंग्रेजों के समय में और सरकार को झुकना पड़ा. किसानों की ताकत हिन्दुस्तान में सबसे बड़ी ताकत है. इनसे लड़ाई कर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं और ना पहुंच सकते हैं.”

किसानों के आगे पहले भी झुकी थी सरकार:
किसान आंदोलन के पक्ष में बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि, ” 1900 से 1906 के बीच में तीन कानून यूनाइटेड इंडिया में और ब्रिटिश हुकूमत में हुए थे- पंजाब लैंड कोनियल एक्ट 1900, द्वाबारी एक्ट 1906 और कोलोनियल एक्ट 1906. इन तीन कानूनों में यह प्रावधान था कि जमीन के मालिक ब्रिटिश सरकार होगी और मालिकाना हक से किसानों को वंचित रखा जाएगा. इन कानूनों में था कि बिल्डिंग बनाने, पेड़ काटने का हक नही होगा. बड़ा बेटा परिवार का बालिग नहीं होगा और अगर वह मर जाएगा तो जमीन छोटे भाई के नाम पर ट्रांसफर नहीं होगी. इस पर बवाल मच गया और 1907 में आंदोलन हुआ. इस आंदोलन का संचालन कर रहे था- सरकार अजीत सिंह, किशन सिंह जी”

पूरे पंजाब में हुआ था आंदोलन
गुलाम नबी आजाद ने सदन में कहानी सुनाते हुए कहा कि, “आंदोलन पूरे पंजाब में हुए और उस वक्त बांकेलाल को जंग के एडिटर थे उन्होंने एक गीत बनाया- पगड़ी संभाल जटा पगड़ी संभाल… सारे जग दा पेट भरे तूं, अन्नदाता कहलाए तूं…. ये काफी मशहूर हुआ था.”

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