देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सियासत नया मोड़ लेती दिख रही है। राज्यसभा में हुई उठापटक और सियासी दांवपेंच के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आगबबूला हैं। कल बसपा के 7 विधायकों ने हाथी छोड़कर साइकिल में सवार होने की ठानी तो मायावती ने उन्हें पार्टी से ही बाहर निकाल फेंका..साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अखिलेश को जमकर लताड़ा, मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश की भी बुरी गति होगी। उन्होंने समाजवादी पार्टी को हराने के लिए किसी भी पार्टी को सपॉर्ट करने की बात कही। मायावती ने 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड को एक बार फिर याद किया और केस वापस लेने को बड़ी गलती बताया। मायावती ने कहा, लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद जब हमने समाजवादी पार्टी के व्यवहार को देखा, तभी समझ में आ गया कि हमने 2 जून 1995 के केस को वापस लेकर बड़ी गलती कर दी है। हमें उनके साथ हाथ नहीं मिलाना चाहिए था और इस संबंध में गहराई से सोचना चाहिए था।
सपा को हराने के लिए माया’वी’ चाल !
मायावती यहीं नहीं रुकी उन्होंने बसपा-बीजेपी की सांठगांठ के आरोपों पर अखिलेश को आड़े हाथों लिया…उन्होंने मुहावरे के जरिए सपा पर हल्ला बोलते हुए कहा- खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह जबरदस्ती बसपा-बीजेपी के हाथ मिलाने का गलत आरोप लगा रही है। जिसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है। 2019 लोकसभा चुनाव में एक मंच पर आए माया-अखिलेश में अब तकरार चरम पर है। उम्मीद के मुताबिक गठबंधन में सफलता नहीं मिल पाई। जिसका ठिकरा मायावती ने अखिलेश पर फोड़ डाला। उन्होंने कहा, पहले दिन से ही हमने कड़ी मेहनत की, लेकिन उनके परिवार में चल रही आंतरिक कलह की वजह से उन्हें बीएसपी के साथ गठबंधन का अधिक फायदा नहीं मिल सका। मायावती अखिलेश से इतनी खपा दिखी कि अंजाम भुगतने की चेतावनी तक दे डाली…और अखिलेश को अपना दुश्मन नंबर 1 बताया….मायावती ने कहा कि, हमने फैसला कर लिया है कि यूपी में आगामी एमएलसी चुनाव में सपा के प्रत्याशी को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएंगे। अगर हमें बीजेपी प्रत्याशी या फिर किसी दूसरी पार्टी के कैंडिडेट को वोट देना होगा तो वो भी करेंगे।
‘भतीजे’ से आगबबूला ‘बुआ’ !
यूपी की सियासत में जो ना हो वो कम है। दुश्मन कब दोस्त बन जाए और दोस्त कब दुश्मन बन जाए। उत्तर प्रदेश की सियासत में कुछ नहीं कहा जा सकता। लोकसभा चुनाव में मायावती और अखिलेश एक मंच पर एक दुसरे की तारीफ करते नजर आए तो राज्यसभा चुनाव आते-आते अच्छाइयां, बुराइयों में बदल गई। राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव में बुधवार को दिनभर चली उठा-पटक के बीच एसपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का पर्चा खारिज हो गया। बीएसपी प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावकों में ही सेंधमारी कर उनका पर्चा खारिज करवाने की सपा की रणनीति पर अन्त में बीएसपी भारी पड़ गई। बसपा के बागी विधायकों को मायावती ने हाथी से उतार दिया है और अब मायावती इस धोखे का बदला लेने के लिए बागियों की विधायकी खत्म करने की पूरी कोशिश में जुट चुकी हैं। यानी आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की राजनीति में और उथल पुथल देखने को मिलने वाली है।