मध्य प्रदेश में पिछले 9 महीने से मचे सियासी घमासान का आज फाइनल रिजल्ट आ गया है। जिसमें बीजेपी ने बाजी मार ली है। मार्च में हुई सियासी उठापटक, सत्ता परिवर्तन, कोरोना काल और फिर उपचुनाव उपचुनाव का ये रिजल्ट पूर्व सीएम कमलनाथ, सीएम शिवराज सिंह चौहान और दलबदल कर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था। जिसमें जीत बीजेपी की हुई है। उपचुनाव में बीजेपी का दम, दमदार साबित हुआ और कमलनाथ बेदम हो गए। मध्य प्रदेश में शिवराज और सिंधिया की जोड़ी ने कमाल कर दिया। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद बीडी शर्मा के नेतृत्व में ये पहला चुनाव था। जिसमें बीजेपी ने अपना लोहा मनवाया है।

शिवराज MP के सबसे लोकप्रिय नेता

मध्य प्रदेश की राजनीति में ये पहला मौका था जब विधानसभा की इतनी ज़्यादा सीटों पर एक साथ उपचुनाव हुए। शिवराज एमपी के सबसे ज़्यादा लोकप्रिय और जनाधार वाले नेता हैं। लगातार 13 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ज़ाहिर है मध्य प्रदेश में हर चुनाव और बीजेपी का हर फैसला उनके कद को मापता है। उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर बीजेपी के कई नेताओं के लिए भी ये चुनाव साख का सवाल था। प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा 84 सभाएं और 10 रोड शो करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज की लोकप्रियता भी उपचुनाव के नतीजों ने तय कर दी है। BJP की जीत के बाद CM शिवराज ने लोगों का शुक्रिया अदा किया है।

BJP में जश्न का माहौल

पार्टी कार्यालय से निकलने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान पूजा अर्चना करने लक्ष्मी नारायण मंदिर पहुंचे। जहां उन्होने बीजेपी की जीत के लिए भगवान का शुक्रिया अदा किया। वहीं एमपी बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा तो ढोल नगाड़ों के साथ बीजेपी कार्यालय पहुंचे। उनके साथ कार्यकर्ता बेहद उत्साहित नजर आ रहे थे। वीडी शर्मा ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता ने भावनात्मक नहीं बल्कि राजनीतिक निर्णय लिया। उन्होने एमपी बीजेपी के कार्यकर्ताओं को जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के बल पर प्रचंड जीत हासिल की है। वहीं इस उपचुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर उनके ऊपर ग्वालियर चंबल संभाग की सीटों को जिताने की चुनौती थी। उस चुनौती पर खरा उतरने के बाद सिंधिया ने भी कार्यकर्ताओं को आभार जताया है।

सिंधिया का MP की सियासत में बढ़ा कद

इस उपचुनाव में उम्मीदवारों से ज्यादा दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। 28 सीटों पर हुए इस उपचुनाव में यदि सबसे ज़्यादा किसी नेता की साख दांव पर लगी थी तो वो थी दलबदल कर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की, बीजेपी की जीत से ज्योतिरादित्य सिंधिया का बीजेपी और प्रदेश की सियासत में कद बढ़ गया है। इन नतीजों ने सिंधिया के राजनीतिक भविष्य औऱ बीजेपी में उनकी हैसियत को तय कर दिया है। साथ ही यह भी बता दिया कि, सिंधिया का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने का फैसला बिल्कुल ठीक था और बीजेपी का उन्हें पलक पावड़े बिछाकर लेना और उनके समर्थकों को टिकट देना सही साबित हुआ। दूसरी तरफ, कांग्रेस में एकतरफा मोर्चा संभाले पीसीसी चीफ और पूर्व सीएम कमलनाथ उपचुनाव में असरदार साबित नहीं हो पाए। कांग्रेस पार्टी ने उपचुनाव को लेकर बड़े फैसले लेने की पूरी छूट कमलनाथ को दी थी और कांग्रेस की ये हार कमलनाथ की निजी हार मानी जा रही है।

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