बिहार में एक बार फिर नीति आयोग (NITI Aayog) की रिपोर्ट पर बवाल मच गया है. राज्य की सियासत में भूचाल मचा है. विकास के मामले में पिछड़ने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सत्ताधारी दल राज्य सरकार का बचाव करने में जुटी हैं, तो वहीं शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है. उन्होने कहा कि, “नीति आयोग के काम करने का तरीका ही अव्यावहारिक और अप्रासंगिक है. हम लोग नीति आयोग के सामने अपना पक्ष रखेंगे. हम उम्मीद रखते हैं कि हमारे पहले के लिखे गए पत्र पर विचार करना चाहिए.”
संतुलित पैमाना बनाए नीति आयोग
नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि, “आयोग के विकास मापने का पैमाना ही अव्यावहारिक व अवास्तविक है. विकसित और विकासशील प्रदेशों का विकास दर या विकास की जर्नी एक ही पैमाने से नापते हैं तो ये तरीका बिल्कुल गलत है. ये तो एक तरह से अपने संसाधनों के बूते जोर लगाकर विकास कर रहे राज्यों को हतोत्साहित करने जैसा है. नीति आयोग पहले एक संतुलित पैमाना बनाए कि जो विकसित प्रदेश होंगे, उनकी जो गति और संसाधन होंगे, वो विकासशील राज्यों से अलग होंगे.”
दरअसल, नीति आय़ोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है. इसके अलावा नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे गरीब राज्यों की लिस्ट में शुमार नजर आए हैं. बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है, झारखंड में 42.16 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत लोग गरीब हैं. एमपी चौथे स्थान और मेघालय पांचवे स्थान पर है.
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