धीरे-धीरे बड़े बड़े कॉरपोरेट घराने बैंकिंग सेक्टर में उतर रहे हैं। लेकिन इसमें टाटा और बिड़ला का नाम नहीं जुड़ पाया है। ऐसी जानकारी मिली है फिलहाल बैंकिंग सेक्टर में टाटा और बिड़ला जैसे बड़े कॉरपोरेट घराने अभी नहीं उतर पाएंगे।इससे संबंधित सुझाव को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अभी मंजूरी नहीं दी है। हालांकि अभी इस सुझाव को केंद्रीय बैंक ने खारिज भी नहीं किया है।

बता दें कि रिजर्व बैंक के एक इंटरनल वर्किंग ग्रुप में 33 सुझाव दिए थे। जिनमें कमर्शियल बैंकिंग में कारपोरेट घराने की एंट्री का सुझाव भी था। इस सुझाव के सामने आने के बाद कई नेताओं और पूर्व सेंट्रल बैंक ने इसकी आलोचना की थी। रिजर्व बैंक ने एक बयान में बताया कि उसने आई डब्ल्यू जी के 33 में से 21 सुझाव को स्वीकार किया है। इनमें से कुछ सुझाव को बदलाव के साथ स्वीकार किया है बचे हुए 12 सुझाव पर अभी केंद्रीय बैंक विचार करने वाले हैं।

बता दें कि टाटा और बिड़ला जैसे बड़े कॉरपोरेट घराने पहले से ही नॉन बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर में मौजूद है। दोनों समूहों के पास एनबीएफसी सेक्टर में अहम हिस्सेदारियां हैं। ऐसा माना जा रहा था कि कमर्शियल बैंकिंग में कॉर्पोरेट की एंट्री को मंजूरी मिलने से इन दोनों समूहों को लाभ होगा। हालांकि रिजर्व बैंक ने बड़े एनबीएफसी के लिए बैंकों की तरह कड़े नियम लाने की बात कहकर इन कॉरपोरेट घरानों को अच्छी खबर के बजाय झटका दे दिया है।

वहीं रिजर्व बैंक के ने पेमेंट बैंक को 3 साल में स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदलने की सुविधा देने वाले सुझाव को भी मंजूरी नहीं दी है। इस निर्णय का प्रभाव पेटीएम के ऊपर पड़ सकता है। पेटीएम अभी पेमेंट बैंक सेक्टर में मौजूद है।

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