लखनऊ: राम मंदिर निर्माण के लिए भले ही भूमि पूजन का कार्यक्रम संपन्न हो गया है। मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरु हो गई है, लेकिन लंबे समय तक जिस मंदिर पर को लेकर विवाद रहा और लंबे समय तक जिस मंदिर को लेकर कानूनी लड़ाई चली क्या वो विवाद अब खत्म हो गया है? इस सवाल का जवाब आज हर कोई जानना चाहता है। अगर आप किसी आम इंसान से इस सवाल का जवाब पूछेंगे तो शायद उसका जवाब ‘ना’ हो लेकिन ताजा हालात और राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसी बातें हुई जिसको लेकर अब कई जानकारों का मानना है कि ये विवाद पूरी तरह खत्म नही हुआ है। तथा सबसे बड़ी बात यह है कि अभी भगवान राम को लेकर और ज्यादा राजनीति हो सकती है। हिंदूवादी राजनीति का बीजेपी पर लगातार आरोप लगता रहा है। वही बीजेपी ने जिस प्रकार भूमि पूजन कार्यक्रम या फिर राम मंदिर को लेकर चली कानूनी लड़ाई लड़ी उसको लेकर भी लोग अब कहने लगे हैं कि बीजेपी इतनी आसानी से मंदिर की राजनीति नही छोड़ने वाली। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी जिस प्रकार भूमि पूजन के दिन ट्वीट कर खुशी जाहिर की उससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस भी किसी से पीछे नही है।

राम मंदिर को लेकर कैसे हो सकती है राजनीति:
जानकारों का मानना है कि लंबे समय से राम मंदिर को लेकर राजनीति करने वाली बीजेपी को इसका सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है। राम मंदिर को लेकर रथयात्रा से आज की ताजा राजनीति तक बीजेपी के नेताओं ने राम मंदिर निर्माण के मुद्देपर जमकर बात की और उसे इसका फायदा भी चुनाव में मिला। बताया जा रहा है कि रामलाल की नगरी अयोध्या बीजेपी के सियासी एजेंडे पर अभी लंबे समय तक रहने वाली है। केंद्र और राज्या सरकार अयोध्या में छोटे-बड़े धार्मिक कार्यक्रमों को भव्य रूप देने की तैयारी में है। इसके जरिये बीजेपी आसानी से हिंदुत्व की राजनीति पर अपनी पकड़ ज्यादा मजबूत कर सकती है। इसकी पहली झलक तब देखने को मिली जब भूमि पूजन के बाद गांव-गांव तक प्रसाद पहुंचाया गया और इसमें बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी ली।

राम मंदिर निर्माण को लेकर विवाद:
लंबे समय तक टेंट में रहने के बाद अब रामलला को भव्य-दिव्य मंदिर में जल्द विराजमान किया जाएगा। पहले हाईकोर्ट औऱ फिर सुप्रीम कोर्ट लगभग 2 दशक की कानूनी लड़ाई के बाद राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया और बाबरी मस्जिद के दावें को खारिज कर दिया गया। वही जब भूमि पूजन की तारीख तय हुई और भूमि पूजन शुरु हुआ तो विवाद भी होने लगा। एआईएमआईएम के मुखिया ओवैसी ने मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया तो कई मुस्लिम नेता अभी बाबरी मस्जिद की मांग को दोहरा रहे हैं। भूमि पूजन के मुहूर्त को लेकर भी कई लोगों ने सवाल किए तथा प्रधानमंत्री रहते पीएम मोदी के इस कार्यक्रम में शामिल होने को भी भारत की मूलभावना से अलग बताया जा रहा है।

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