जिंदगी के कोई भी रंग को देखने के लिए आंखों की रोशनी होना बहुत जरूरी है। चाहे वह क्रिकेट खेलना हो या फिल्म देखना। अगर आपका आँख ही आपका साथ ना दे रहा हो तो जिंदगी बेरंग लगने लगेगी।
ऐसा ही कुछ हुआ इस 11 साल के स्कूली छात्र चार्ली जोनस के साथ। चार्ली कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित है और ये बीमारी सबसे ज्यादा उसके पसंदीदा खेल क्रिकेट को प्रभावित कर रही थी
11 साल के चार्ली को लाल और हरे रंग के बीच का अंतर ही समझ नही आता था। लाल गेंद और हरे घास में अंतर ना कर पाने की वजह से वो कई बार आउट भी हो जाता था। लेकिन अब उसके पास विशेष चश्मा है जिसने उसे बदल दिया है। चश्मे ने उसकी पूरी जिंदगी मे रंग घोल दिया है। 11 वर्षीय चार्ली लाल और हरे रंग के बीच अंतर कर सकता है।
चार्ली ने अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया कि कभी-कभी उसे गेंद और घास में अंतर करने में काफी कठिनाई होती थी लेकिन वह अब बहुत सारे रंग देख सकता है। हरा, नीला, बैंगनी, लाल, नारंगी यह सभी रंग उसे अब साफ साफ दिखाई देते हैं। चार्ली ने बताया कि चश्मा पहनने के बाद वह सबसे पहले जो करना चाहता था वह क्रिकेट खेलना। चार्ली का कहना है कि वह इस चश्मे को पहनने के बाद बेहद खुशी महसूस करता है और जीवन का अनुभव करने के लिए पूरी तरह से तैयार।
चार्ली के क्रिकेट को गैरेथ रॉबर्ट्स का कहना है कि कि चार्ली अपने पहले गेम में दूसरी या तीसरी गेंद पर आउट किया गया था। वह काफी परेशान था और उसने कहा कि वह गेंद को नहीं देख सकता। जिसके बाद मैंने उन तरीकों पर गौर करना शुरू किया। जिनसे हम चार्ली की मदद कर सकते थे। उन्हें एंक्रोमा द्वारा बनाए गए चश्मे के बारे में पता चला।
Wrexham के पास, Brymbo क्रिकेट क्लब के लिए खेलने वाले चार्ली अब जाने के लिए उतावले हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चश्मा उन्हें मैदान पर और दिन-प्रतिदिन के जीवन में मदद करेगा।
डैड डैरेन ने कहा: “वह वास्तव में लाल और हरे रंग की वजह से क्रिकेट के साथ संघर्ष कर रहा था। अब उसे कोई नहीं रोकेगा।
वहीं चार्ली के पहली बार चश्मा पहनने के पल का वर्णन करते हुए मां जोआन ने कहा:” इस खास चश्मे ने उसके लिए सब कुछ हमेशा के लिए बदल गया।”