NEW DELHI: रेवती वीरामनी यह नाम उस भारतीय खिलाड़ी का है जिसने जीवन के संघर्षों के बीच सिर्फ और सिर्फ जीतना सीखा। हालात चाहे जैसे हो…रेवती ने हर चीज से कोम्प्रोमाईज़ किया लेकिन अपने सपने से नहीं। रेवती वीरामनी ओलंपिक में भारत का नाम ऊंचा करने वाली 4×400 मिक्स्ड रिले टीम का हिस्सा हैं। रेवती की जिंदगी किसी को भी जिंदगी जीने का मकसद दे सकती है उन्होंने अपनी जर्नी में कई बाधाएं..गरीबी और अपनों का बीच सफर में साथ छोड़ जाने का गम तक महसूस किया है।

टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद भावुक रेवती वीरमणि बताती हैं कि एक बार ओलंपिक के लिए मेरे नाम कंफर्म हो जाने के बाद कुछ टाइम तो मुझे कुछ समझ ही नहीं आया…मेरी आंखों में मेरी पूरी जर्नी उतर आई…। रेवती जब सात साल की थी जब उन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था और उसकी नानी अराममल ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया। रेवती की दादी दिहाड़ी मजदूरी का काम करती थी..। रेवती अपने सपने को पूरा करने के लिए नंगे पांव दौड़ती थी क्योंकि उनके पास एक जोड़ी जूते तक खरीदने के पैसे नहीं थे।


2014-15 में मदुरै के एमजीआर रेस कोर्स स्टेडियम में क्षेत्रीय बैठक के दौरान, मदुरै में तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण (एसडीएटी) केंद्र के कोच के कन्नन ने रेवती की प्रतिभा को पहचाना था। हालांकि रेवती वो रेस नहीं जीत पाई थी। रेवती की प्रतिभा को पहचान कर कन्नन कोच उसे आगे की ट्रेनिंग देना चाहते थे। कोच ने बताया कि मैंने रेवती ऐसी युवा लड़की को नंगे पांव दौड़ते देखा और उसकी प्रतिभा से प्रभावित हुआ…मैंने पता लगाया कि वो कहां रहती है..और उसके घर जाकर उससे मिलने का फैसला किया। मैंने उसकी नानी के सामने ट्रेनिंग का प्रस्ताव रखा लेकिन उन्होंने मना कर दिया..उनको लगा कि ये बहुत महंगा होगा।यह भी पढ़े Tokyo Olympics 2021: खेलगांव परिसर में दो और एथलीट हुए कोरोना पॉजिटिव, कुल तीन खिलाड़ी हुए संक्रमित

रेवती ने कहा कि मैं अपने घर से प्रशिक्षण केंद्र तक बस का खर्च 40 रुपये नहीं उठा सकती थी, लेकिन कन्नन सर चाहते थे कि मैं ट्रेनिंग लू..और सर ने मेरी नानी को मना लिया और मुझे फ्री में कोचिंग देने की बात कही। रेवती के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती जूते खरीदना। रेवती ने बताया कि कन्नन सर ने मुझे जूते दिलाए लेकिन में जूते के साथ दौड़ने में सहज नहीं थी…लेकिन बाद में मैंने इसकी आदत भी डाल ली। बता दें कि रेवती ने कोयंबटूर में जूनियर नेशनल में 100 मीटर, 200 मीटर और 4X100 मीटर रिले में गोल्ड मेडल जीता था। बता दें कि रेवती दक्षिण रेलवे मुदरै में टिकट कलेक्टर हैं। रेलवे ने भी उन्हें ओलंपिक में सिलेक्ट होकर जाने की बधाई दी है

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