Rohit Jangid: भारत में जहां क्रिकेट जैसे खेल को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। ऐसे में यदि देश का युवा क्रिकेट के आलावा किसी अन्य क्षेत्र में अपने करियर बनाने की सोचता है तो शायद ही उसे अपने घर वालों से इसकी सहमति मिलती होगी। राजस्थान के रोहित जांगिड़ (Rohit Jangid) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। स्कूल में एक सीनियर को देखकर जब रोहित ने वुशु में करियर बनाने का सोचा तो उन्हें घर वालो से इसकी सहमति नहीं मिली। लेकिन रोहित ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अपने घर वालो की सोच बदल दी।

रोहित जांगिड़ की कहानी

बचपन में शरीर से दुबले-पतले दिखने वाले रोहित शुरू से ही काफी होनहार थे। जब उन्होंने वुशु को अपने करियर के रूप में चुना तो उनके पड़ोसी उनपर तंज़ कसते थे। कुछ पड़ोसी तो यह भी कहते थे कि बॉडी बनाकर वह गुंडा बन जाएगा। मीडिया को दिए इंटरव्यू में रोहित जांगिड़ ने बताया कि जब वह 11वीं क्लास में थे तो पहली बार वुशु का नाम सुना, तभी से वे इस खेल की ओर आकर्षित हो गए थे। इसके बाद उन्होंने वुशु का लगातार का अभ्यास किया और निरंतर अपने गेम में सुधार किया। उनका सेलेक्शन बड़े लेवल पर पहली बार वेस्ट जोन चैंपियनशिप में हुआ, जहाँ सिल्वर मेडल के साथ उनके करियर का आगाज़ हुआ। चार नेशनल्स टूनामेंट में प्रदर्शन करने के बाद साल 2014 में रोहित को पहली बार वर्ल्ड इंटरनेशनल चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला, जो कि हांगकांग में आयोजित हो रहा था।

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जब पाकिस्तान को धुल चटाई

हांगकांग में Rohit Jangid ने पाकिस्तान के खिलाड़ी को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके बाद रोहित ने जॉर्जिया में भी भारत का परचम लहराया। रोहित जांगिड़ का जीवन संघर्ष और कड़ी मेहनत की जीती-जागती मिसाल है। वह खुद की प्रैक्टिस के खर्चे को निकालने के लिए नौकरी किया करते थे।
कुछ समय बाद में वो थाइलैंड चले गए, जहां फुकेत के टाइगर अकेडमी में छह महीने तक उन्होंने जमकर पसीना बहाया। भारतीयों को अगले साल होने वाले एशियन गेम्स 2022 (जो कोविड की वजह से अगले साल के लिए टल गया था) में रोहित से काफी उम्मीदें हैं और रोहित एक बार फिर भारत को पदक दिलाने के लिए अपनी तैयारी में जुट गए हैं।

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सीनियर से मिली सीख ने बना दिया वुशु खिलाड़ी

रोहित जांगिड़ ने बताया, ”एक दिन मैंने देखा कि मेरे एक सीनियर को मेडल मिल रहे थे। वह मेरे घर के करीब के रहने वाले थे तो मैं उनसे मिलने के लिए काफी उत्सुक था और जैसे ही मुझे मौका मिला मैंने उनसे मुलाकात की। उन्होंने मुझे बताया कि वे वुशु खेलते हैं। इस खेल के बारे में मैंने पूरी जानकारी हासिल की। जिसके बाद इस खेल के प्रति मेरी उत्सुकता और बढ़ गई, सारी जानकारी लेने के बाद तय किया कि मैं भी वुशु के क्षेत्र अपना करियर बनाऊंगा। परिवार की सहमति के बिना ही ठान लिया था की खुद को मजबूत करना है और फिर मैंने अपनी कोशिश शुरू कर दी। यह इतना आसान नहीं था, पर मुझे करना था।”

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मीडिया में 2 वर्ष से काम करने का अनुभव है। DNP India Hindi में बतौर Content Writer काम कर रहा हूँ। इससे पहले ANI और The Statesman में काम करने का अनुभव है। DNP India Hindi में Sports, National और International मुद्दों पर लिख रहा हूँ

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