अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद से पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा है। ये बात सभी जानते हैं कि अफगानिस्तान की सत्ता कब्जाने के बाद तालिबान लगातार अपनी मनमर्जियां कर रहा है। अब तालिबान के डर और दबाव से यूनाइटेड नेशंस में अफगानिस्तान की पूर्व सरकार के राजदूत गुलाम इसाकजई ने इस्तीफा दे दिया है। एक बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इसाकजई, जिन्हें अपदस्थ प्रधानमंत्री अशरफ गनी ने नियुक्त किया था और तालिबान सरकार द्वारा हटा दिया गया था, ने इस्तीफा दे दिया है।

राजदूत गुलाम इसाकजई पर बनाया गया था दबाव


संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा  कि 15 दिसंबर को महासचिव (एंटोनियो गुटेरेस) को संबोधित करते हुए और राजदूत गुलाम इसाकजई (…) द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र 16 दिसंबर को मिला था। पत्र में कहा गया है कि राजदूत इसाकजई ने 15 दिसंबर, 2021 को इस्तीफा दे दिया। मीडिया रिपोर्ट की माने तो चूंकि अफगानिस्तान महीनों से आर्थिक और वित्तीय संकट में फंसा हुआ है, इसलिए राजनयिक मिशन को लंबे समय से अपने अस्तित्व में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। कुछ हफ्ते पहले, इसाकजई ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक में भाग लिया, जिस दौरान उन्होंने तालिबान की खुले तौर पर आलोचना की, जिन्होंने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया।

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पहले से भड़का हुआ था तालिबान


यूनाइटेड नेशंस में अफगानिस्तान के मिशन ने ट्वीट कर बताया है कि नसीर फैक अस्थायी प्रभारी राजदूत के तौर पर जिम्मेदारी निभाएंगे। मिशन ने कहा कि वह यूनाइटेड नेशंस में अपने लोगों की चिंताओं और वैध मांगों को उठाता रहेगा। बता दें कि तालिबान पहले से ही गुलाम इसाकजई पर पद छोड़ने का दबाव बना रहा था। तालिबान अपनी पसंद या यू कहे कि अपनी मानसिकता वाले किसी शख्स को यूनाइटेड नेशंस में राजदूत के पद पर बैठाना चाहता था।सुहैल शाहीन ने मामले को लेकर कहा था कि यूनाइटेड नेशंस को अपनी तटस्थता साबित करनी चाहिए और अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार को यह सीट देनी चाहिए। 

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