अमेरिका ने आगाह किया है कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे। साथ ही, यह भी कहा कि वह रूस से ऊर्जा और दूसरी चीजों का भारत के आयात में ‘तीव्र’ बढ़ोत्तरी नहीं देखना चाहेगा। अमेरिका के उप राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्‍टी एनएसए) दलीप सिंह ने यह बयान दिया।

अपने बयान में दलीप सिंह ने रूस और चीन के बीच ‘असीमित’ साझेदारी का जिक्र कर‍ते हुए भारत को नसीहत दी कि उसे यह उम्‍मीद नहीं करनी चाहिए कि यदि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता है तो रूस, भारत की रक्षा करने के लिए दौड़ा चला आएगा। वह विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सहित भारतीय वार्ताकारों के साथ कई बैठकें करने के बाद बोल रहे थे।

रूस के विदेश मंत्री भी भारत आए हैं
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘हम डॉलर आधारित वित्तीय प्रणाली की अनदेखी करने वाले तंत्र या हमारे वित्तीय प्रतिबंधों में गतिरोध उत्पन्न करने वाले तंत्र को नहीं देखना चाहेंगे।’ अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है, जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर आए हैं, जिसमें नई दिल्ली के रूसी तेल खरीदने सहित द्विपक्षीय व्यापार के लिए रूबल (रूसी मुद्रा)-रुपया भुगतान तंत्र पर चर्चा देखने को मिल सकती है।

सिंह ने कहा, ‘हम यह नहीं देखना चाहेंगे कि रूस से भारत के आयात में तीव्र वृद्धि हो क्योंकि यह ऊर्जा या किसी अन्य निर्यात से जुड़ी होगी जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है या जिस पर अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं।’ सिंह ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के भारत के फैसले के बारे में पूछे जाने पर यह कहा।

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रूस-चीन संबंधों की चर्चा की
उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत की ऊर्जा और रक्षा उपकरणों की जरूरत को पूरा करने में मदद करने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘रूस ने कहा है कि चीन उसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण साझेदार है, जिसका भारत के लिए वास्तविक निहितार्थ है।’ दलीप सिंह ने जोड़ा कि चीन के साथ इस संबंध में रूस जूनियर साझेदार होने जा रहा है।

इस पर जोर देते हुए अमेरिकी डिप्‍टी एनएसए ने कहा, ‘चीन, रूस पर जितना प्रभाव बनायेगा, वह भारत के लिए उतना ही कम अनुकूल होगा। मुझे नहीं लगता कि कोई मानेगा कि यदि चीन ने एलएसी का उल्लंघन किया तो रूस भारत की रक्षा के लिए दौड़ा चला आएगा।’

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