लेबनान की राजधानी बेरूत में आग से हाहाकार मचा हुआ है। पिछले डेढ़ महीने में दूसरी बार लपटों के तांडव से लोग सहमे हुए हैं। पिछले दिनों ही बेरूत में भयंकर ब्लास्ट हुआ था। जिसमें करीब 200 लोगों की मौत हो गई थी और चार हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। आधा शहर राख हो गया था। अब वहां के एक बंदरगाह पर भयंकर आग लग गई है। आग भी भयंकर लपटे उठ रही हैं। घटना स्थल पर फायरब्रिगेड की कई गाड़ियां घंटों से आग पर काबू पाने की कोशिश में जुटी हुई है। हालांकि, इस बार कोई विस्फोट नहीं सुना गया। घटना में किसी के घायल होने की भी जानकारी नहीं है। लेकिन पूरे शहर में धुएं-धुएं ने आस-पास के लोगों को पहले के हादसे की याद दिला दी। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि आग कैसे लगी लेकिन कहा जा रहा है कि वहां ईंधन और टायर जलाए जा रहे थे, जिसने विकराल रूप ले लिया।

4 अगस्त को भी दहला था शहर

4 अगस्त की शाम बेरूत में हुए ज़बरस्त धमाके में 200 से ज़्यादा लोग मारे गए। छह हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हुए और लगभग तीन लाख लोग बेघर हो गए थे। धमाके की वजह बताई गई 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट, जिसे बेरूत बंदरगाह के पास एक इमारत में स्टोर करके रखा गया था। धमाके की गूंज बेरूत से सैकड़ों किलोमीटर दूर तक सुनाई पड़ी थी। चार अगस्त को बेरूत के बंदरगाह पर हुए भारी विस्फोट से शहर की आधी इमारतों को भी नुकसान पहुंचा था। लेबनान की संसद में 13 अगस्त को राजधानी बेरूत में आपातकाल लगाने को मंजूरी दे दी गई थी। बेरूत में हुए चार अगस्त को हुए धमाके के बाद संसद की हुई पहली बैठक में जनता के आक्रोश और राजनीतिक अस्थिरता के बीच सेना को विस्तृत शक्ति देने वाले आपातकाल के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई और जनता के दबाव की वजह से सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था। दिल दहलाने वाला ये धमाका बेरूत में ऐसे समय पर हुआ, जब लेबनान भयंकर आर्थिक और राजनीतिक संकट से पहले से ही जूझ रहा था। गरीबी और महंगाई से लेबनान के लोग पहले से ही परेशान हैं। कई लोगों का मानना है कि तबाही की वजह बेरूत का धमाका नहीं है, बल्कि, लेबनान की तबाही की वजह से बेरूत में धमाका हुआ।

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