चीन पहले से ही अपनी परमाणु ऊर्जा को बढ़ाने का काम कर रहा है। कहा जा रहा है कि चीन ये सब राजनीतिक तौर पर अपने आप को मजबूत दिखाने की कोशिश में कर रहा है। बीजिंग के बढ़ते रणनीतिक खतरे से लड़ने के लिए ये अपनी सैन्य शक्ति का निर्माण जारी रख रहा है। बुधवार को जारी चीनी सैन्य शक्ति पर रक्षा विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पास 2027 तक 700 ऑपरेशनल वॉरहेड और 2030 तक कम से कम 1,000 होने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन लगातार अपना परमाणु भंडार बढ़ा रहा है।

परमाणु भंडार में वृद्धि कर रहा चीन

एक साल पहले अमेरिका के पेंटागन ने चीन के परमाणु हथियारों की संख्या 200 के करीब बताई थी, जिसके दशक के अंत तक बढ़कर दोगुना या 400 होने का अनुमान था। पेंटागन का कहना है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), जैसा कि चीन अपनी सेना से कहता है कि एक “विश्व स्तरीय” लड़ाकू बल स्थापित करने के लिए अपने दशकों लंबे मार्च के हिस्से के रूप में कई गुना बड़ा भंडार बनाने की मांग कर रहा है जो अमेरिका को चुनौती दे सकता है। चीन हमेशा से ही अमेरिका को अपना पहला और बड़ा दुश्मन मानता आया है। अमेरिका से युद्ध की परिस्थिति से निपटने के लिए चीन पहले से ही परमाणु भंडार को बढ़ावा दे रहा है। कहा जाता है कि  चीन एक पास  परमाणु “triad” हथियार भी है जो  पनडुब्बियों, बमवर्षकों, या अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला कर सकती है।

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अमेरिका नहीं बढ़ा रहा परमाणु हथियार भंडार

हालांकि अमेरिका ना तो चाइना से युद्ध के मूड में है और ना वो अपनी परमाणु शक्ति को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। रिपोर्ट अमेरिका को चीन से भिड़ने का सुझाव नहीं देती है। अमेरिका के पास वर्तमान समय में  3,750 परमाणु हथियार हैं। इससे पहले  2003 में अमेरिका के पास 10,000 परमाणु हथियार थे। बाद में समझौतों और अन्य कारणों से अमेरिका के परमाणु हथियारों की संख्या कम हुई। आगे भी अमेरिका परमाणु भंडार बढ़ाने पर जोर नहीं दे रहा है। हालांकि अब चीन की रिपोर्ट सामने आने के बाद अब देखना होगा कि अमेरिका इस पर क्या फैसला लेता है।

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