अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत और रूस अपनी ज़रूरतों के कारण एक-दूसरे के भागीदार बने थे और ऐसा तब हुआ था जब अमेरिका, भारत का साझेदार बनने की स्थिति में नहीं था।

लेकिन आज के समय में अमेरिका ऐसी स्थिति में है। ब्लिंकन ने कहा कि आज अमेरिका भारत के साथ संबंधों को मज़बूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ रही है। यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध के बाद से भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर कई सवाल पैदा हुए हैं। एक ओर जहाँ अमेरिका सीधे तौर पर यूक्रेन को समर्थन दे रहा है और रूस के ख़िलाफ़ उसे मदद कर रहा है, वहीं भारत ने इस स्थिति पर अपनी स्थिति तटस्थ रखी है।

भारत-अमेरिका संबंधों पर काफी वाद-विवाद चल रहा है। सीनेट एप्रोप्रिएशन्स कमेटी में ब्लिंकन ने कहा, “इस साझेदीरी में तमाम ऐसी संभावना है कि यह एक सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी के रूप में बढ़े। आगे आने वाले दशकों में हम एक बेहद महत्वपूर्ण साझेदारी के रूप में आगे बढ़ रहे हैं।”

रूस के साथ भारत के संबंधों पर अपनी टिप्पणी करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से बहुत से देश रूस के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “और भारत के संदर्भ में अगर पूछा जाए तो, रूस के साथ भारत के संबंध दशकों से चले आ रहे है। भारत के लिए रूस से संबंध बनाना उस समय की दरकार थी जब हम उनके पार्टनर बनने की स्थिति में नहीं थे। अब हम भारत के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। मुझे लगता है कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी धीरे-धीरे और प्रगाढ़ हो रही है और निश्चित तौर पर चीन इसका एक बड़ा अहम हिस्सा है।”

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यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से अमेरिका ने रूस के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इसके अलावा भारत के रूस के साथ रिश्ते भी अमेरिका के निशाने पर रहे हैं। भारत ने रूस के साथ अपने आयात-निर्यात के संबंधों को अब भी जारी रखा हुआ है और वहीं दूसरी ओर अमेरिका का कहना है कि जब तक ये उसके लगाए प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ नहीं जाता, उसे इससे कोई समस्या नहीं है।

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